BnnBharat | bnnbharat.com |
  • समाचार
  • झारखंड
  • बिहार
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • औषधि
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
  • समाचार
  • झारखंड
  • बिहार
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • औषधि
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
BnnBharat | bnnbharat.com |
No Result
View All Result
  • समाचार
  • झारखंड
  • बिहार
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • औषधि
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य

महानिम्ब के प्रयोग: वनौषधि – 25

by bnnbharat.com
September 8, 2022
in वनौषधि
महानिम्ब के प्रयोग: वनौषधि – 25

महानिम्ब के प्रयोग: वनौषधि – 25

Share on FacebookShare on Twitter

प्रचलित नाम– घोड़ करंज / महानिम्ब / बकायन / अरलूमहानिम्ब

प्रयोज्य अंग- पत्र तथा छाल

स्वरूप- विशाल 60-70 फुट ऊँचा मृदु वृक्ष, पत्र संयुक्त, 2 -3 फुट लम्बे, पत्रक दंतुर धार वाले तथा तिरछे आधार वाले;

पुष्प पीले हरे।

स्वाद – तिक्त कषाय ।

रासायनिक संगठन- इसकी छाल में ग्लौकारुबिन, ग्लौकारूबिनॉन, एक्सेलसिन, ग्लौकारुबोल, ऐलैन्थियोन, एलेन्टिक अम्ल, मैलेन्थिन, ट्रायकोन्टेन, हेक्साट्राय कोन्टेन । इसके पत्रों में ऐलान्टिक अम्ल, बीटा-सिटोस्टीरॉल पाये जाते हैं ।

गुण-तिक्त, बल्य, ग्राही, ज्वरहर, उद्वेष्टहर, दीपन, कृमिघ्न।

उपयोग– रक्तदोष में, विषमज्वर में, श्वासरोग में, श्वसनीशोथ, अग्रिमांद्य में, संताप में, प्रवाहिका में, पत्रों के कल्क का लेप व्रण में, गलगण्डारी सूजन तथा विसर्प में लाभकारी।


इसकी छाल एवं पत्रों का क्वाथ- प्रसव पश्चात् दौर्बल्य में लाभकारी । इसके उपरांत जीर्णज्वर या दौर्बल्य में इसका प्रयोग लाभकारी।


अग्निमांद्य में- इसकी छाल का रस डेढ़ औंस मात्रा में दिन में दो बार ।


अतिसार में इसकी त्वचा का पुट पाक विधि से रस निकाल कर मधु के साथ सेवन करने से चिरकालीन | अतिसार भी नष्ट हो जाता है।


कर्णशूल में इसकी त्वचा का पुटपाक विधि से रस निकालकर कान में डालने से कर्णशूल ठीक हो जाता है। अरलु के काण्ड की त्वचा सुगंधित होती है तथा यह बल्य होने के साथ-साथ ज्वर में लाभकारी मानी गई है । इसके अतिरिक्त यह कफघ्न तथा उद्वेष्ट निरोधी है इस का प्रयोग श्वासरोग प्रधान ज्वर तथा श्वास में किया जाता है।


अरलु की ताजी त्वचा (हरी त्वचा) का रस-नारियल जल, गुड़, मधु या किसी सुगंधित द्रव्य के साथ दिया जाता है, इससे प्रसूति पश्चात् की वेदना शान्त हो जाती है या इसकी छाल का क्वाथ थोड़े दिन तक पिलाना चाहिये इससे ज्वर भी नष्ट होता है।


इसका प्रयोग ग्राही के रूप में संग्रहणी तथा आमातिसार जैसे रोगों में किया जाता है। संग्रहणी में इसकी छाल का रस 15 बूंद, छाछ 100 ग्राम में मिलाकर सेवन से लाभ होता है।
रक्तातिसार तथा रक्तार्श में इसकी छाल का रस दो से ढाई – ग्राम पिलाने से लाभ होता है ।


प्रसूता की शक्ति के लिये इसके पत्रों का स्वरस-20 ग्राम, हरा नारियल को पीसकर तैयार किया गया दूध-40 ग्राम तथा मिश्री एवं मधु आवश्यकता अनुसार मिलाकर पिलाने से शक्ति में प्राप्त होती है।


संधिवात में मूल का चूर्ण प्रतिदिन तीन बार देना चाहिये ।


बकायन के बीज सबसे अधिक विषैले होते हैं, लेकिन ताजे पत्ते प्रायः हानिकारक नहीं होते हैं। इसके फलों और बीजों की माला बनाकर दरवाजे और खिड़कियों पर टांगने से बीमारियों का प्रभाव नहीं होता है। इसके फलों की माला पहनने से संक्रामक रोगों से बचाव होता है।


फागुन और चैत्र महीने में इस वृक्ष से एक दुधिया-रस निकलता है। इस समय कोमल पत्तों के अलावा और किसी अंग के रस या काढ़ा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

मात्रा- त्वचा का चूर्ण- 1 से 3 ग्राम । स्वरस- 10 से 20 मि.ली. ।

बकायन के फल


Ailanthus excelsa, Roxb. SIMARUBACEAE

ENGLISH NAME:- Ailanthus. Hindi- Mahanimb/Asan

PARTS-USED:- Leaves and Bark.

DESCRIPTION:- A large lofty tree 60 to 80 feet high, Leaves Compound 2-3 feet long. Flowers yellowish inlax panicle, fruit a samara.

TASTE:-Bitter-Astringent.

CHEMICAL CONSTITUENTS- Bark Contains: Glaucarubin, Glauca rubinone, Excelsin, Glaucarubol, Ailanthion, Ail antic acid, Malanthin, Tricontane; Hexatricontane. Leaves Contain: Ailantic acid, Beta-Sitosterol (Vitexin).

ACTIONS:-Bitter Tonic, Astringent, Antipyretic, Antispasmodic, Stomachic,

Anthelmintic.

USED-IN-Dyscrasia, Malaria, Asthma, Bronchitis, Dyspepsia, Burning, sensation giarcliasis ulcerative colitis. Dysentery, Paste of Levaes: Locally Appliedon Ulcers, Goiter swelling, Erysipalous.

बकायन के फूल

बकायन का वानस्पतिक नाम Melia azedarach Linn. (मीलिया एजाडराक) है, और यह Meliaceae (मीलिएसी) कुल का है। बकायन के अन्य ये भी नाम हैंः-
Bakayan in –
• Hindi- बकायन, बकाइन, महानीम
• Sanskrit- महानिम्ब, केशमुष्ठी, रम्यक, विषमुष्टिका
• English- Persian lilac (पर्सियन लिलेक), बीड ट्री (Bead tree), प्राइड ऑफ चाइना (Pride of china), प्राइड ऑफ इण्डिया (Pride of India)
• Urdu- बकायना (Bakayana)
• Uttrakhand- बेतैन (Betain), डेन्कना (Denkna)
• Assamese- थामागा (Thamaga)
• Kannada- तुरकाबेवु (Turakabevu), हुक्केबेवु (Huccebevu)
• Gujarati- बकानलिम्बडो (Bakanlimbado)
• Telugu- कोन्डा वेपा (Konda vepa), तुरकवेपा (Turak vepa)
• Tamil- मलाइवेम्पु (Malaivempu), मलाइवेप्पम (Malaiveppam)
• Bengali- घोड़ानिम (Ghoranim), महानिम (Mahanim)
• Nepali- बकैनु (Bakenu), बकाइनो (Bakaino)
• Punjabi- द्रेक (Drek), चेन (Chen)
• Marathi- विलायती निम्ब (Vilayati nimb), बकाणानिम्ब (Bakananimb)
• Malayalam- मालावेप्पु (Malaveppu), केरिन वेम्बु (Kerin vembu)
• Arabic- बन (Ban), हाबुलबन (Habulban)
• Persian- अजाडेड्रचता (Azadedarachta), बकेन (Bakaen)

महानिम्ब के वृक्ष

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on X (Opens in new window)

Like this:

Like Loading...

Related

Previous Post

बच्चों के लिए अति लाभकारी है हँसपादी : वनौषधि – 24

Next Post

कंटाला के औषधीय गुण: वनौषधि – 26

Next Post
कंटाला के औषधीय गुण: वनौषधि – 26

कंटाला के औषधीय गुण: वनौषधि – 26

  • Privacy Policy
  • Admin
  • Advertise with Us
  • Contact Us

© 2025 BNNBHARAT

No Result
View All Result
  • समाचार
  • झारखंड
  • बिहार
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • औषधि
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य

© 2025 BNNBHARAT

%d