विद्या विकास समिति झारखंड प्रांत के तत्वाधान में आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रांतीय विद्वत परिषद द्वारा गोष्ठी का आयोजन किया . जिसमें आभासी रूप से विद्वतजनों ने आजादी के गुमनाम नायक और भविष्य का भारत कैसा हो इस पर अपने-अपने विचार व्यक्त किए . इस गोष्ठी की प्रस्तावना विद्वत परिषद के प्रांतीय सह प्रमुख सुनील कुमार पाठक ने बताया आजादी के 75 वें वर्ष में पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस आजादी को पाने में कितने ही गुमनाम शहीदों ने बलिदान किए हैं. बलिदानियों की गौरव गाथा को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का संकल्प लिया है. 75 लाख पोस्टकार्ड प्रेषण का अभियान हो , 75 करोड़ सूर्य नमस्कार हो या आजादी के गुमनाम नायक को चिह्नित कर उनके वीर गाथा को अपनी भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य हम कर रहे है. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आई. एस. एम. धनबाद के खनन प्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर अरविंद कुमार मिश्र ने कहा कि हमारे बच्चे बहुत तीव्र बुद्धि के हैं . परंतु उन्हें अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में हमने बताया नहीं . हम सब की जवाबदेही है. आजादी के गुमनाम नायकों में हमारे देश के वैज्ञानिक भी शामिल रहे हैं. वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु ने अंग्रेजों के राज में दिखा दिया कि पश्चिमी विज्ञान से पूर्वी विज्ञान वास्तव में योग्य है. क इनके साथ ही प्रोफेसर सी. बी. रमन. ऐसे पहले अश्वेत वैज्ञानिक थे. गोष्ठी में विद्या विकास समिति झारखंड के प्रदेश सचिव अजय कुमार तिवारी, पूर्व प्राध्यापक डाॅ. जटाधर दुबे, बी.आई.टी. सिंदरी के प्राध्यापक डाॅ. राजीव कुमार वर्मा, झारखंड अधिविद्य परिषद के पूर्व अध्यक्ष डाॅ. अरविंद प्रसाद सिंह , बोकारो महिला कॉलेज की प्राध्यापिका नीलिमा मिश्रा राय विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष रंजन, राय विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार पीयूष रंजन आदि मुख्या रूप से थे.
विद्या भारती उत्तर पूर्व क्षेत्र के मंत्री एवं राम अवतार नारसरिया ने कहा कि गौरवशाली इतिहास के साथ 75 वर्षों में उपलब्धि भी बताना है. मौके पर विद्वत परिषद के क्षेत्रीय संयोजक डाॅ. रामकेश पांडे, , प्रांतीय संरक्षक अमरकांत झा, सहित कई विद्यालयों के प्रधानाचार्य,राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक, शिक्षाविद, आचार्य सहित लगभग 150 लोग शामिल हुए . गोष्ठी का समापन कल्याण मंत्र के साथ किया गया .
