नई दिल्ली.कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमीक्रोन को आम सर्दी-जुकाम समझने की गलती नहीं करनी चाहिए. कुछ रिपोर्ट्स में भले ही इसे डेल्टा की तुलना में ‘कम खतरनाक’ बताया गया है, मगर लापरवाही भारी पड़ सकती है. कोविड मैनेजमेंट में लगे डॉक्टर्स और मरीजों के अनुसार, ओमीक्रोन का संक्रमण उतना हल्का नहीं है जितना बताया जा रहा है. मयूर विहार में रहने वाली रंजना शर्मा ने कहा, ‘मुझे पिछले तीन दिन से तेज बुखार है और दवा से भी ठीक नहीं हो रहा है. मैं बेहद कमजोर महसूस कर रहा हूं.’अपोलो हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ राजेश चावला ने कहा कि ओमीक्रोन से मृत्यु दर भले ही डेल्टा से कम हो, फिर भी यह लोगों को अस्पताल पहुंचा रहा है. उन्होंने चेताते हुए कहा, ‘मेरे यहां तीन मरीज ऐसे हैं जिन्हें ऑक्सिजन सपोर्ट की जरूरत है. वे सभी फुली-वैक्सीनेटेड हैं. ओमीक्रोन वेरिएंट अधिकतर अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में इन्फेक्शन करता है लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि फेफड़ों में डैमेज के भी मामले सामने आए हैं, खास तौर से बुजुर्गों और डायबिटीज, हाइपरटेंशन जैसी को-मॉर्बिडिटीज वालों में.
लोगों को कोविड-19 को हल्के में बिल्कुल नहीं लेना चाहिए. नया वेरिएंट भले ही पिछले वेरिएंट से हल्का संक्रमण दे रहा है मगर इसमें कोई शक नहीं कि इसके फैलने की दर बहुत ज्यादा है. अगर बहुत सारे लोग एक साथ संक्रमित हो गए तो अस्पताल भर जाएंगे.
डॉ नीरज निश्चल, ऐडिशनल प्रफेसर (इंटरनल मेडिसिन), एम्स दिल्ली
निश्चल ने जोर देकर कहा कि सरकारें अपनी तरफ से कोशिशें कर रही हैं, लेकिन अगर केसेज बहुत ज्यादा होते हैं तो ऐसी तैयारियों से खास फायदा नहीं होगा. ओमीक्रोन से होने वाला कोविड संक्रमण आमतौर पर खांसी, गले में खराश, बुखार, थकान, सिरदर्द जैसे लक्षण देता है. हालांकि डेल्टा से उलट, इसके ज्यादातर मरीजों में टेस्ट और स्मेल चले जाने की बात सामने नहीं आई है.
ओमीक्रोन के लक्षण क्या हैं?
खांसी (आम)
गले में खराश (आम)
बुखार (आम)
थकान (आम)
सिरदर्द (आम)
बदन दर्द (आम)
छींक आना (नहीं)
डायरिया (दुर्लभ)
नाक बहना (दुर्लभ)
अगर ऐसा हो तो फौरन डॉक्टर से मिलें
सांस लेने में तकलीफ
ऑक्सिजन सैचुरेशन में गिरावट (कमरे की हवा में spo2 94% से ज्यादा होना चाहिए)
सीने में लगातार दर्द/दबाव महसूस हो
मेंटल कन्फ्यूजन या या प्रतिक्रिया न दे पाएं
अगर लक्षण 3-4 दिन से ज्यादा रहें या बिगड़ते जाएं
इलाज कैसे हो रहा है?
स्टेरॉयड्स : होम आइसोलेशन वाले मरीजों के लिए नहीं; अस्पताल में भर्ती मरीजों पर कुछ स्थितियों में इस्तेमाल
रेमडेसिविर : होम आइसोलेशन वाले मरीजों के लिए नहीं; अस्पताल में भर्ती मरीजों पर कुछ स्थितियों में इस्तेमाल
मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज : ज्यादातर ओमीक्रोन वेरिएंट से होने वाले इन्फेक्शन पर कारगर नहीं
मोलनुपिराविर : फायदे सीमित हैं. दवा के गर्भवती महिलाओं, 18 साल से कम उम्र के बच्चों में साइड इफेक्ट्स
‘कोविड के लिए कोई जादुई गोली नहीं’
डॉ निश्चल ने कहा कि कोविड का इलाज अधिकतर लक्षण के आधार पर होता है. किसी को बुखार है तो उसे पैरासिटामॉल दे सकते हैं. सर्दी हौं तो सिट्रिजन दी जा सकती है. होम आइसोलेशन वाले मरीजों को स्टेरॉयड्स देने की सलाह डॉक्टर्स नहीं देते. डॉक्टर ने कहा कि हाल के दिनों में दो तरह के इलाज को प्रमुखता मिली है – मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज और मोलनुपिराविर नाम की एंटीवायरल दवा. हालांकि उन्होंने चेताया कि इलाज के जिन तरीकों को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिली है, उन्हें जादुई गोली नहीं समझा जाना चाहिए.

