शिवपुरी:- पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे संगठन न्यू मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन संघ के राष्ट्रीय संयोजक जनक सिंह रावत का कहना है कि केंद्र ने 2004 एवं मध्यप्रदेश मैं 2005 में न्यू पेंशन स्कीम को कर्मचारियों पर जबरन थोप दिया गया दूसरी तरफ सरकार दावा करती है कि कर्मचारियों ने स्वेच्छा से न्यू पेंशन स्कीम को स्वीकार किया लेकिन सच्चाई यह है कि न्यू पेंशन, ना लेने पर वेतन रोकने के आदेश दिए गए बड़े-बड़े दावे किए गए कि इससे कर्मचारी को करोड़ों रूपय मिलेगे उसका जीवन सुरक्षित होगा लेकिन आज सच्चाई सामने है यदि कर्मचारियों ने स्वेच्छा से न्यू पेंशन स्कीम ली है तो फिर सरकार को न्यू पेंशन स्कीम को स्वैच्छिक कर देना चाहिए फिर पता लग जाएगा कितने कर्मचारी स्वेच्छा से स्वीकार करते हैं और कितने इसका विरोध करते हैं लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है न्यू पेंशन स्कीम मैं कर्मचारियों को ₹1000,₹2000 पेंशन मिलेगी कर्मचारियों को मिलने वाली पेंशन से सरकार का कोई लेना देना नहीं है.
कंपनी ही उनको पेंशन देगी न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारियों के साथ एक धोखा है छलावा है,ना इसमें में निश्चित पेंशन की गारंटी हैlजी पी एफ की सुविधा नहीं है आज राज्यों के विधानसभा में प्रसन्न उठ रहे हैं कि कर्मचारियों को न्यू पेंशन स्कीम दी गई थी उसको बंद कर पुरानी पेंशन दी जाए लेकिन सरकार का कहना है कुछ कर्मचारी ही इसका विरोध कर रहे है फिर देश के विभिन्न राज्यों में पेंशन के लिए आंदोलन क्यों हो रहे हैं आज हर कर्मचारी न्यू पेंशन स्कीम का विरोध कर रहा है पुरानी पेंशन की मांग कर रहा है लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों की सामाजिक,आर्थिक सुरक्षा,बुढ़ापे का सहारा पुरानी पेंशन बहाल कर देना चाहिए या इसको स्वैच्छिक कर देना चाहिए.
