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क्या वाकई कोरोना संक्रमण से फैल रहा है या हमारे अंदर ही म्युटेंट होकर हमें संक्रमित कर रहा है

by bnnbharat.com
January 6, 2022
in समाचार
क्या वाकई कोरोना संक्रमण से फैल रहा है या हमारे अंदर ही म्युटेंट होकर हमें संक्रमित कर रहा है
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हाल के दिनों में कोरोना के नए नए वेरिएंट सामने आ रहे है. भारत समेत कई राष्ट्रों में स्थिति भयावह बनती जा रही है. लेकिन जरा ठहरिये क्या वाकई में स्थिति भयावह है, क्या वाकई में कोरोना संक्रमण से फैल रहा है.

हमें कुछ बातों पर गौर करने की जरूरत है.

1. कोरोना का नया – नया वेरिएंट आ कहाँ से रहा है?
2. क्या यह किसी एक ही इंसान के बॉडी में म्युटेंट होकर नया वेरिएंट बन स्प्रेड हो रहा है?
3. क्या इसे कृत्रिम रूप से लैब में तैयार कर दुनियां में स्प्रेड किया जा रहा है?

प्रथम बिंदु पर गौर करते हैं. कोरोना एक वायरस है. वायरस मतलब एक ऐसा जेनेटिक कोड जो अनुकूल परिस्थिति में सजीव हो जाते हैं और प्रतिकुल परिस्थिति में निर्जीव रहते हैं. परिस्थिति अनुकूल होने के बाद अगर प्रतिकूल होने लगे तो वो परिस्थिति के अनुसार वायरस खुद के जेनेटिक कोड में खुद बदलाव कर खुदको परिस्थिति के अनुकूल बना लेते है. इसे ही म्युटेट होना कहते हैं. यही कारण है कि कोरोना के नए- नए वेरिएंट सामने आते जा रहें हैं. वायरस के जेनेटिक कोड में परिवर्तन लैब में भी कृत्रिम रूप से किया जाना बिल्कुल संभव है.

अब हम बिंदु दो पर गौर करते हैं. क्या यह वायरस किसी एक ही इंसान के शरीर में म्युटेंट हुआ होगा और वहां से फिर स्प्रेड होना शुरू हुआ होगा ? अगर ऐसा होता तो इसे शुरुवात में ही रोकना संभव हो जाता और यह वायरस दुनियां में इतना तबाही नहीं मचा पता.

लेकिन यह वायरस वातावरण के अनुसार अलग अलग जगहों पर विभिन्न रूप में पाए गए हैं. यह संभव है कि इस वायरस का शुरुवात दुनियां के किसी एक कोने से हुआ होगा. लेकिन एक बार स्प्रेड होने के बाद यह वायरस करोड़ो लोगों के शरीर में पहुंच चुका है जहां अब दिन-रात हमेशा नए म्युटेंट बनने की संभावना लगातार बनी हुई है.

अगर हम कहें कि हम आइसोलेट रहें, मास्क पहने रहें तो कोरोना से बचे रहेंगे तो क्या यह संभव है ? कोरोना तो हमारे शरीर के अंदर ही म्युटेंट होकर नए वेरिएंट या नए रूप में हमें संक्रमित कर सकता है. ऐसे में बचना कैसे संभव है. हम कितना भी बच कर रहें हम कभी भी छोटा मोटा संक्रमण या फिर एक भयानक संक्रमण का शिकार हो सकते हैं. संक्रमण का स्तर इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे अंदर छिपे कोरोना वायरस ने कितना स्ट्रांग म्यूटेंट बनाया है. क्या हमारा प्रतिरोधक क्षमता उसे रोक पाने में सक्षम है.

अगर ऐसा है तो यह कभी न खत्म होने वाली लड़ाई की तरह होगी. हमारा प्रतिरोधक क्षमता कोरोना को हराएगा फिर कोरोना म्युटेंट होकर स्ट्रांग बनेगा फिर हम संक्रमित होंगे फिरसे हमारा प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगा… यह शिलशिला चलता रहेगा.

अब तीसरी बिंदु पर विचार करते है. यदि हम यह मान लें कि कोरोना सभी के शरीर में म्यूटेंट नहीं हो रहा है तो यह नया नया वेरिएंट इतनी जल्दी पूरे विश्व में कैसे फैल रहा है. जरूर कोई न कोई खड़यंत्र के जरिये इसे फैलाया जा रहा है. कहीं न कहीं इसे लैब में तैयार कर फिर स्प्रेड कर व्यापार किया जा रहा है. यदि ऐसा है यो यह प्राकृतिक आपदा नहीं इंसानी गलती है. इसपर विश्व के सभी देशों को एकमत हो विचार करने की जरूरत है.

वैक्सीन,
अब तक का बना कोई भी वैक्सीन कोरोना के वायरस को नष्ट नहीं कर रहा या यों कहले उसे मार पाने में सक्षम नहीं है. लगभग सभी वैक्सीन सिर्फ हमारे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम ही कर रहे हैं. कोरोना से लड़ने का यह तरीका कितना कारगर हो सकता है. ऐसा करके तो हम वायरस की और मदद कर रहें है. वायरस हमारे प्रतिरोधक क्षमता से लड़कर ही नए वेरिएंट के रूप में सामने आ रहा है.

पूरे विश्व के राष्ट्र को एक जुट होकर ऐसा वैक्सीन तैयार करना होगा जो कोरोना वायरस को खत्म करने में सक्षम हो.

यह लेखक के निजी विचार है.

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