रोजगार अगर अपने क्षेत्र में ही मिले तो कोई पलायन क्यों करेगा. अभिभावकों के पलायन से बच्चों के समग्र विकास पर असर पड़ता है. बच्चे अपने परिवेश में बेहतर विकास करते है. इसलिए लोग कुशल बनेंगे तो पलायन में कमी आयेगी. यह कहना है लोहरदगा डीसी का. डीसी डॉ वाघमारे प्रसाद कृष्ण ने जिला चाइल्डलाइन एडवाइजरी बोर्ड की त्रैमासिक बैठक में इस सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिये. डीसी ने श्रम अधीक्षक को निर्देश दिया गया कि पुनर्वासित मजदूरों को प्रशिक्षण देकर कुशल बनाएं और उन्हें क्रेडिट लिंकेज कराएं. उसके पुनर्वास के लिए कार्य करें. लोगों को श्रम विभाग के योजनाओं की जानकारी नहीं है, उन तक श्रम विभाग की योजनाओं की जानकारी प्रचार-प्रसार कर पहुंचाएं.
डीसी ने कहा कि अगर लोग कुशल बनेंगे, तो पलायन में कमी आयेगी. बाल कल्याण समिति भी ऐसे बच्चों के माता-पिता के लिए सोचें, जो अपनी जीविकोपार्जन के लिए पलायन कर जाते हैं. जिला प्रशासन कुशल श्रमिकों को आर्थिक सहायता उपलब्ध करायेगी. अन्य विभागों से भी मिलने वाली सुविधाएं उन्हें दी जाएंगी. इसी प्रकार अगर कोई अकेली महिला है, तो उसे महिला स्वयं सहायता समूह से जोड़ें. ग्राम स्तर पर बाल कल्याण समिति को मजबूत करने के लिए मुखिया और प्रखंड स्तर पर प्रमुख एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र लिखें और समिति को सक्रिय करें.

