गोरखपुर:- कानून के जानकारों के मुताबिक हत्या जैसे जघन्य मामले में विवेचक को न्यायिक अभिरक्षा के पहले दिन से से 90 दिनों के भीतर जांच मुकम्मल कर चार्जशीट दाखिल करने की बाध्यता होती है. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो अभियुक्त को इसी आधार पर जमानत पर छोड़ना पड़ेगा. 90 दिन का समय छह जनवरी को पूरा हो रहा है.
लिहाजा शीतकालीन अवकाश के दौरान ही चार्जशीट दाखिल करने से पहले कानूनी कसौटी और तकनीकी बिंदुओं पर निर्णायक संस्तुति देने के लिए में ही जांच टीम ने लीगल टीम को प्रस्तावित चार्जशीट भेज दी है. इस पर लगभग सहमति बन चुकी है.
देश की राजनीति की दशा और दिशा को प्रभावित करने वाले तिकुनिया कांड पर आम जन के साथ ही राजनीतिक पंडितों की भी नजर है. इसकी वजह केंद्रीय मंत्री के बेटे का इस मामले में आरोपी होना है. मामला हाईप्रोफाइल होने की वजह से मीडिया की सुर्खियों में रहा है.

