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जानकारी थी फिर भी ‘ब्लू बुक’ का पालन नहीं, पंजाब पुलिस पर घोर लापरवाही का आरोप

by bnnbharat.com
January 6, 2022
in समाचार
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नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा में बुधवार को सुरक्षा में एक बड़ी चूक होने पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने राज्य की कांग्रेस पर प्रहार किया और कहा कि जो सरकार कानून व्यवस्था सुनिश्चित नहीं कर सकती, उसे सत्ता में बने रहने का कोई हक नहीं है. पीएम मोदी का काफिला बुधवार को पंजाब में 15-20 मिनट एक फ्लाईओवर पर फंस गया और एक शहीद स्मारक पर कार्यक्रम में शामिल हुए बगैर उनके काफिले को लौटने का निर्णय लेना पड़ा. दरअसल, कुछ प्रदर्शनकारियों ने फ्लाईओवर अवरूद्ध कर दिया था.

इसे लेकर, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पंजाब सरकार को इस गंभीर चूक के लिए जवाबदेही तय करने और कठोर कार्रवाई करने को कहा. प्रधानमंत्री फिरोजपुर में रैली में भी शामिल नहीं हो सके. प्रधानमंत्री की सुरक्षा की मानक संचालन प्रक्रिया आखिर है क्या, आइये जानते हैं:

प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए एजेंसी
प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी के पास होती है. एसपीजी एक्ट में संशोधन के बाद इस एजेंसी के पास सिर्फ प्रधानमंत्री की सुरक्षा का जिम्मा है. ये कमांडो बल प्रधानमंत्री को निकटतम सुरक्षा प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है. इसका मतलब है कि पीएम के चारों ओर तत्काल घेरा एसपीजी कर्मियों का होता है.

एएसएल या उन्नत सुरक्षा संपर्क भी एसपीजी द्वारा किया जाता है. इसका मतलब यह है कि प्रधानमंत्री के यात्रा कार्यक्रम के हर मिनट का दस्तावेजीकरण और निगरानी केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों द्वारा किया जाता है. पीएम के किसी राज्य के दौरे के दौरान, स्थानीय पुलिस इस मिनट-टू-मिनट कार्यक्रम का संचालन करती है, लेकिन इसकी निगरानी एसपीजी अधिकारी करते हैं. एएसएल में कार्यक्रम स्थल और पीएम द्वारा लिए जाने वाले मार्ग को भी साफ करना शामिल है. तोड़फोड़-रोधी जांच, पीएम के करीब आने वाले लोगों की तलाशी, सभी को विशेष सुरक्षा समूह द्वारा किया जाना अनिवार्य है.क्या इसका मतलब यह है कि पूरी जिम्मेदारी एसपीजी की है?
नहीं. हालांकि निकटवर्ती सुरक्षा एसपीजी की जिम्मेदारी है, लेकिन अगर पीएम यात्रा करते हैं तो परिधि को राज्य पुलिस द्वारा सुरक्षित किया जाता है. इसका मतलब यह है कि पीएम जिस मार्ग पर जाने वाले हैं, उसे राज्य पुलिस द्वारा अंतिम रूप दिया जाता और फिर इसे एसपीजी के साथ साझा किया जाता है.

पीएम की यात्रा के लिए सड़क मार्ग को सुरक्षित रखना राज्य पुलिस की जिम्मेदारी है. एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर न्यूज18 को बताया, “रूट पर निर्णय राज्य पुलिस द्वारा एसपीजी के परामर्श से लिया जाता है. आमतौर पर, आकस्मिक मार्गों पर एक स्केलिटन फोर्स तैनात की जाती है. कभी-कभी अंतिम समय में निर्णय लेने के लिए आपातकालीन स्थिति उत्पन्न हो सकती है, अन्यथा मार्ग, तैनाती आदि सभी राज्य द्वारा पूर्व-निर्धारित होते हैं और एसपीजी के साथ साझा किए जाते हैं.”

एक अन्य पूर्व डीजीपी ने कहा कि न केवल राज्य पुलिस को तैनाती के साथ एक आकस्मिक मार्ग तैयार करना अनिवार्य है, बल्कि यह एसओपी का हिस्सा है कि डीजीपी या एक नामित अधिकारी को पीएम के काफिले में यात्रा करनी चाहिए. कई राज्यों में पीएम यात्राओं को संभालने वाले अधिकारी ने News18 को बताया “पीएम के काफिले में यात्रा करने के लिए डीजीपी के लिए एक निर्दिष्ट वाहन है. यदि वह उपलब्ध नहीं है, तो एक नामित अधिकारी को उसका प्रतिनिधित्व करना चाहिए ताकि किसी भी आपात स्थिति में, वह यह सुनिश्चित कर सके कि पीएम का काफिला बाधित न हो.”

हवाई यात्रा के लिए
यदि प्रधानमंत्री किसी कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने के लिए हेलिकॉप्टर की सवारी करने वाले हैं, तो कम से कम एक वैकल्पिक सड़क मार्ग (यदि अधिक नहीं तो) तैयार रखा जाता है.

News18 से बात करने वाले SPG के पूर्व अधिकारियों के अनुसार, एक आकस्मिक मार्ग बहुत पहले से तय किया जाता है. एसपीजी के एक पूर्व अधिकारी ने कहा“रूट लाइनिंग या वैकल्पिक मार्ग पर तैनाती पहले से अच्छी तरह से की जाती है. पीएम के आगमन से कम से कम 24 घंटे पहले, हवाई अड्डे / हवाई पट्टी से कार्यक्रम स्थल तक एक पूर्ण पूर्वाभ्यास किया जाता है.”

एसपीजी, स्थानीय पुलिस, स्थानीय और खुफिया ब्यूरो के अधिकारी सभी इस रिहर्सल का हिस्सा हैं. स्थानीय नागरिक प्रशासन पीएम के दौरे से पहले की तैयारियों में शामिल चौथी एजेंसी है. तैनाती सुनिश्चित करती है कि पीएम द्वारा उठाए जाने वाले मार्गों की स्वच्छता के लिए राज्य के अधिकारियों पर जिम्मेदारी तय की गई है. वैकल्पिक मार्ग अक्सर राज्य द्वारा तय किए जाते हैं और एसपीजी को सूचित किया जाता है और जब दोनों एजेंसियां ​​संतुष्ट होती हैं तो पीएम की यात्रा की जाती है. किसी भी तरह की तोड़फोड़ के प्रयास की स्थिति में खुफिया अधिकारी अलर्ट करने में शामिल हैं.शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर सवाल किया है कि क्या बुधवार की घटना एक खुफिया विफलता है. “मैं इस तथ्य से व्यथित हूं कि हमारे @PMOIndia’s सुरक्षा विवरण में बहुत सारी खामियां हैं, यह भयावह हो सकता है. जब वह यात्रा कर रहे हो तो आदेश की श्रृंखला स्पष्ट होनी चाहिए और जो भी वांछित हो उसे बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए. इस मामले में स्पष्ट रूप से – एचएम, एसपीजी, राज्य पुलिस.”
2006 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की त्रिवेंद्रम में सुरक्षा इसलिए भंग हो गई थी क्योंकि उनके पायलट वाहन ने उन्हें राजभवन तक ले जाने के बजाय शहर के एक रास्ते में ले जाया था.

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