बीच में किसी कारण पढ़ाई छोड़ने वाले छात्रों की पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी. कोल्हान विश्वविद्यालय ने उनके लिए एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की सेवा शुरू कर रही है. उन्हें उनके टाइम पीरियड के हिसाब से प्रमाणपत्र दिए जाएंगे. साथ ही वे जब चाहे अपनी पढ़ाई वहीं से शुरू कर सकते हैं. केयू की ओर से एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट स्कीम की शुरुआत करने के लिए कमेटी गठित कर दी गई है. कोल्हान विवि के प्रवक्ता डॉ. पीके पाणी ने इस सम्बन्ध में जानकारी दी.
बताया कि एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को लागू करने के लिए बनी कमेटी इसका रेगुलेशन तय करेगी. एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट (एबीसी) एक कामर्शियल बैंक की तरह काम करेगा और छात्र इसके ग्राहक होंगे व एबीसी इन छात्रों को कई सेवाएं प्रदान करेगा. इसमें क्लास वर्क और ट्यूटोरियलस के आधार पर तैयार स्टूडेंट्स के एकेडमिक क्रेडिट को स्टोर किया जाएगा. छात्रों को एकेडमिक बैंक खाता खोलना होगा और प्रत्येक एकाउंट होल्डर को एक यूनिक आईडी और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर प्रदान की जाएगी. एकेडमिक बैंक ऑफ अकाउंट में स्टूडेंट्स के पुरान रिकॉर्ड जमा है तो वह पढ़ाई छोड़ने के बाद कभी भी इसे दोबारा शुरू कर सकता है. यानी इस स्कीम के आने से छात्रो के पास कॉलेज में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट का भी ऑप्शन होगा.
एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट एक वर्चुअल स्टोर हाउस होगा जो हर स्टूडेंट के डेटा का रिकॉर्ड रखेगा. ऐसे में अगर कोई छात्र किन्ही कारणों से बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ देता है तो उसे संबंधित कोर्स के टाइम पीरियड के हिसाब से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री दी जाएगी. उदारहण के तौर पर फर्स्ट ईयर पास करने वाले स्टूडेंट को सर्टिफिकेट दिया जाएगा वहीं सेकेंड ईयर पास करने वाले छात्र को एडवांस डिप्लोमा और तीन साल का कोर्स पूरा करने पर ग्रेजुएशन की डिग्री व चार साल की पढ़ाई करने पर रिसर्च के साथ डिग्री दी जाएगी. यानी अगर पढ़ाई बीच में छूट भी जाती है तो छात्र ने जितना समय भी अपनी कोर्स को दिया है वो व्यर्थ नहीं जाएगा उसे टाइम पीरियड के हिसाब से सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री क्रेडिट की जाएगी.

