नई दिल्ली.हिंदुत्व के आलोचकों को जवाब देने के लिए अखिल भारतीय संत समिति यूपी के 13 तीर्थ स्थलों पर संतों का सम्मेलन करेगी। पहला सम्मेलन 11 जनवरी को नैमिषारण्य में होगा। संत समिति में देशभर के साधु-संत जुड़े हैं जो सनातन धर्म से जुड़े मुद्दों को उठाते हैं और देश में धर्म के नाम पर हो रहे कलह को शांत करने का काम करते हैं। समिति के महासचिव जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि हिंदुओं और हिंदुत्व के आलोचकों और विरोधियों को बेनकाब करने के लिए यूपी के गांवों में संत समिति एक अभियान शुरू करेगी।
यह अभियान काशी, प्रयागराज, अयोध्या, चित्रकूट, बिठूर, वृंदावन, शुक्रताल, ब्रजघाट और गढ़मुक्तेश्वर, कछला, सोरो, नैमिषारण्य सहित 13 स्थानों पर होगा। यूपी के देवरिया, ओरछा और विंध्याचल इसके केंद्र होंगे। नैमिषारण्य में बताया जाएगा कि हिंदुत्व और हिंदुओं पर राजनीति के लिए हमला न करें। इसे संत समुदाय बर्दाश्त नहीं करेगा। सम्मेलन में आए संत और साधु गंगा सफाई और गायों की सुरक्षा के लिए काम करने का संदेश भी देंगे।
इस चुनाव में ‘सांस्कृतिक सेक्युलरिज्म’ की शुरुआत
इधर, बीएचयू के राजनीति विज्ञान संकाय के डीन व प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने बताया कि इस चुनाव में सांस्कृतिक सेक्युलरिज्म की शुरुआत हो रही है। इस बार का चुनाव अलग है। अब किसी के सपने में कृष्ण आ रहे हैं, तो किसी को बाबा विश्वनाथ धाम की याद आ रही है। लोहिया ने भी राम, कृष्ण और शिव पर वर्षों पूर्व लेख लिखा था, जिसमें राम को भारत का ह्रदय, शिव को मस्तक और कृष्ण को कर्मशीलता का परिचायक माना था। यही लोहिया का सांस्कृतिक समाजवाद था। लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह ने इसको कभी माना नहीं। अखिलेश को भी इसकी याद पिछले 5 वर्षों में नहीं आई।

