मरीज बाहर से दवाएं खरीदते रहे और स्वास्थ्य विभाग ने स्टोर में रखे रखे दवाइयां बर्बाद कर दी. हजार हजार रूपये तक की दवाइयां भी इसमें शामिल है. मामला इस बार लोहरदगा सदर अस्पताल परिसर में खंडहरनुमा भवन से उजागर हुआ. जहाँ से शुक्रवार को प्लास्टिक की 25 बोरियों में दवाएं कबाड़ में फेंकी मिली. कोरोना काल में दवाएं बांटी नहीं गई और रखे-रखे सभी दवाएं नवंबर 2020, जून, अगस्त, सितंबर और दिसंबर 2021 में एक्सपायर हो गईं. बाद में दवाओं को खंडहर भवन के भीतर बने शौचालय में बंद कर रख दिया गया.
एक्सपायर दवाओं की कीमत करीब 25 लाख रुपयों में आंकी जा रही है. सिविल सर्जन डॉ संजय कुमार सुबोध को इस बारे में कुछ मालूम नहीं है. उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी नहीं है. एक्सपायर दवाएं कहां से आई, जांच कराएंगे. स्टॉक लेजर से मिलान करेंगे. अगर यहां की दवाएं होंगी तो संबंधित जवाबदेह पर कार्रवाई होगी. वहीं यदि यह दवाएं अस्पताल की नहीं है तो आया कहां से इसकी भी जांच करायी जाएगी. मौके पर उन्होंने अस्पताल के फार्मासिस्ट उमाकांत कुमार से मामले पर स्टॉक लेजर कर पूछताछ भी की.
अस्पताल के फार्मासिस्ट उमाकांत कुमार ने उक्त दवाएं लोहरदगा सदर अस्पताल की होने से इंकार किया है. फिर कहां की है, उनके पास जवाब नहीं है. टीम ने यह भी पाया कि अस्पताल में सिक्युरिटी की व्यवस्था नहीं है. कोविड काल में सिक्युरिटी जवानों को तैनात किया गया था. बाद में इसे हटा दिया गया. पुन: जवानों की ड्यूटी लगाए जाने की मांग की गई है.

