हरियाणा के जींद जिले के गांव बीबीपुर के पूर्व सरपंच सुनील जागलान ने एक अभियान चला रखा है. “ गाली बंद घर “. जैसा की शब्द से ही समझा जा सकता है कि गाली नहीं देना. गाली हमारे मन मस्तिस्क के साथ घर परिवार और बच्चों पर भी बहुत बुरा प्रभाव डालता है. खास कर दो पुरुषों के बिच जब विवाद बहस, झगडा या कई इलाकों के सामान्य बातचीत ही क्यों न हो, गाली महिला से जुडी होती है. झगडा कर रहे है पुरुष और गाली किसी महिला रिश्ते से जुडी होती है. इन्हीं गलत बातों के विरोध में सुनील जागनाल का अभियान कई मायनों में अच्छा है जिसकी सराहना भी हो रही है.
सुनील का मानना है कि यह अभियान महिला संबंधी गालियों से मुक्ति दिलाएगा। इंटरनेशनल मीडिया द्वारा उनके अभियान को सराहे जाने के बाद वह एकाएक यह अभियान भी सुर्खियों में आ गए। सुनील जागलान वह व्यक्ति हैं, जो सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के चेयरमैन हैं। उनके सेल्फी विद डाटर अभियान को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इंटरनेशनल व भारतीय मंचों पर कई बार सराहा है। गांव हो या शहर, बेटियों को सम्मान देने के लिए घर के बाहर उनके नाम की प्लेट लगाने की मुहिम भी सुनील जागलान की देन है।
जागलान हालांकि पहले से चुपचाप धीरे-धीरे गाली बंद मुहिम चला रहे थे, लेकिन इंटरनेशनल मीडिया द्वारा उनके अभियान को सराहे जाने के बाद वह एकाएक सुर्खियों में आ गए। आम बोलचाल की भाषा में गाली को सामान्य बात मान लिया जाता है। अपनी बात को ऊंचा रखने के लिए आप यह भी कह सकते हैं कि यह मेरी आदत में शामिल हो गया है, लेकिन सोचिए कि यदि आपकी बेटी या बेटा या पत्नी या भाई बात करते हुए गालियां देनी शुरू कर दे, तब आपकी कैसी स्थिति होगी। लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने की मांग को लेकर सुनील जागलान ने पूरे हरियाणा में लाडो पंचायत आयोजित की हैं।
फिलहाल उनका गाली बंद घर अभियान चर्चा में है। इस अभियान का मक़सद है कि महिलाओं का जिक्र करते हुए दी जाने वाली गालियों पर रोक लगे। आज के समय में प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चे भी घरों में आमतौर पर बोली जाने वाली गाली की भाषा से प्रभावित हो रहे हैं, इसलिए सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन को लगता है कि पहले घर की पाठशाला को सही करना होगा। वहां बोली जाने वाली भाषा बच्चों के मन पर सीधा असर डालती है। इसलिए यहां माहौल में सुधार बेहद जरूरी है।
भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 294 के तहत इस प्रकार की अभद्र भाषा पर तीन महीने की जेल हो सकती है, लेकिन इससे भी ज्यादा अहम बात है कि यदि आप फोन पर या आम बोलचाल की भाषा में गालियों का इस्तेमाल करेंगे तो फिर आप अपने परिवार और आसपास के लोगों से अच्छा सुनने की उम्मीद नहीं कर सकते।

