नीता शेखर,
सौ दिऐ के जलने से जो रोशनी नहीं होती है वही मां के 1 दिए जलाने से घर आंगन रौशन हो जाता है. मां शब्द ही ऐसा है जिसको सुनते ही मन में रोमांच भर जाता है. कहते हैं मां तू जननी है इस संसार की. तू ना होती तो यह संसार भी ना होता.
तूने अपने पूरे संसार का दुख छिपाया है और खुद ही दूसरे को खुशियां बांटती है, सच मां होती ही ऐसी है. बड़े खुशनसीब हैं वो लोग जिनके साथ मां रहती है. बच्चों के जीवन में कितने भी आंधी तूफान आए अपने बच्चों के लिए एकदम निश्चल अटल से अपने आंचल में समेट लेती है. खुद भूखा रहकर भी बच्चों को भूखा नहीं रहने देती. हमेशा अपने बच्चों के लिए खड़ी रहती है. मगर जिंदगी में मां नहीं तो कुछ भी नहीं.
आज “मातृत्व दिवस” के अवसर पर मैं सभी माओं को शत-शत नमन करती हूं और धन्यवाद देती हूं जिसने खुद को अंधकार में रखकर सब किसी को रौशनी दी है.
ऐ मां तेरी जगह कोई नहीं ले सकता “तेरे आंचल की छांव में बसता है सारा संसार. बच्चे जन्म लेते ही तेरे आंचल में समा जाते हैं, कैसे पहचान लेते हैं यह मेरी ही मां का आंचल है.
सारा ब्रह्माण्ड मां के आंचल में समा जाता है. जब आप थप थप कर सुलाती है. सारी रात जगती है, थोड़ी सी सरसराहट पर उठ कर बैठ जाती है. मां तेरी ममता का आंचल नहीं मिला. दुनिया का अभागा होगा. तुम्हारे बारे में जितना भी कहा जाए वह कम ही होगा.
शायद उतने शब्द ही ना होंगे जो तेरी तुलना कर सके.
जब जब तेरी जरूरत आन पड़ी कभी -कभी सरस्वती बन जाती है. देखा है मैंने ऐसी कई मां को जो आधी रात को भी उठकर अपने बच्चों की फरमाइश पूरा करती है. ऐसे ही एक मा से मैं आप सभी का परिचय कराती हूं.
इन्होंने ना जाने कितनी ही डिग्रियां हासिल की. हमेशा अपने क्लास और विश्वविद्यालय में प्रथम आती रही. उनका सपना था मगर बच्चों की वजह से अपने सपनों को त्याग कर दिया. वह एक ऐसी मां है जो अपने बच्चों के लिए आधी रात को भी खड़ी हो जाती है. चाहे कितनी भी बीमार हो. दुखी हो लेकिन बच्चों के सामने कभी नहीं कहती. बल्कि उनके कामों को करने के लिए ऐसी हालत में भी खड़ी हो जाती है.
एक बार की बात है उनकी तबीयत काफी खराब थी. हालात यह थे कि खुद खड़ी नहीं हो पा रहे थी. अचानक उनका बेटा रात को लगभग 2:00 बजे के आसपास कहने लगा मां मुझे भूख लगी है. मुझे और खाना है. मैं उस समय उनके घर गई थी. उन्होंने अपने बेटे को खिलाया. उन्होंने जो किया शायद मैं नहीं कर पाती. मां के कई रूप होते हैं. मां मां ही होती है पर कुछ अपवाद भी होती है.
ऐसी मां को शत-शत प्रणाम करने को जी चाहता है. वह एक ऐसी मां है जो सिर्फ अपने बच्चों की मां नहीं बल्कि हमारे परिवार के सभी बच्चों की मां है. मां तेरे साए में हम रहते हैं सुरक्षित. मां तेरे आंचल में है सारा जन्नत. दुनिया में सबसे बढ़कर तेरा आंचल है. तपती धूप में भी तेरे आंचल की छांव है जो सारे दुखों को भूलकर पल भर में सुख भर दे. ऐसी चमत्कारी है मां. तू है सबकी मां. इस कागज के पन्नों पर क्या लिखूं खत्म हो जाएंगे. तेरे बारे में लिखना नहीं आता और करते हैं तेरे चरणों को छूकर प्रणाम.