पटना : कांग्रेस नेता ललन कुमार ने कहा कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी व विश्व के जाने माने अर्थशास्त्रियों के सुझाव अनुसार आम आदमी, गरीब मजदूर, किसान, छोटे व्यवसायी, असंगठित कामगारों के छीने कामों को पुन: त्वरित गति देने के लिए मुद्रा वितरण कर अर्थव्यस्था को बहुत तेजी से पटरी पर लाना चाहिए.
परन्तु दबाव में आये प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था को त्वरित गति देने के बजाय झांसा देने की ही कोशिश की.
प्रधानमंत्री जी की 20लाख करोड़ पैकेज की घोषणा, में से 66प्रतिशत पूर्व की बजटीय योजनाओं में से है. आज वित्त मंत्री द्वारा 6 लाख करोड़ की विस्तृत जानकारी देते ही ये 6 लाख करोड़ भी झांसा पैकेज सिद्ध हो गया.
आगे उन्होंने कहा, या तो प्रधानमंत्री जी को पैकेज का मतलब नहीं पता या सबकुछ जानते हुए जनता को झांसे में रखने की आदत सी है.
अधिकांश घोषित राशि छूट है या छूट की समय सीमा बढाई गयी है उसके अनुमानित राशि को पैकेज कहना ही गलत है.
एमएसएमई सेक्टर, कुटीर उद्योग व आम जनता तक के निजी ऋण के लिए 30 हजार करोड़ की राशि बहुत ही छोटी राशि है. इससे ज्यादा राशि तो पिछले बजट में एमएसएमई सेक्टर के लिए घोषित की गयी थी. तब भी यह अमाउंट लोन लेना होगा जिसका गारंटर केंद्र होगा और चार वर्षों का लोन होगा ये. फिर ये पैकेज कैसे है? पीएफ, टीडीएस, व डायरेक्ट टैक्स में समय सीमा की छूट या टैक्स की छूट दी गयी है, जो कि अच्छा कदम तो है पर पैकेज नहीं है।.
इससे इकोनॉमी में वांछित तेजी नहीं आयेगा. डिस्कॉम सेक्टर, का 90 हजार करोड़ का गारंटर भी राज्य सरकार को ही बनना है तो इसमें केंद्र कहां है?पैकेज कहां है? अनुमानित 45 हजार करोड़ का रेलवेए सडक़ व पीपीपी मोड़ वाले या अन्य निर्माण कार्य कर रहे कॉन्ट्रैक्टर्स को बैंक गारंटी व समय सीमा की सुविधा दी गयी है.
बैंक गारंटी के गारंटर राज्य होंगे, इसको पैकेज कैसे कहेंगे? वैसे ही रियल एस्टेट सेक्टर को भी समय सीमा या लाइसेंस अपग्रेडेशन की सुविधा दे राशि का अनुमान लगा लिया गया है. इसी तरह पूरा पैकेज ही झांसा लगता है. सरकार वहीं की वहीं है.क्योंकि ये इनकी मजबूरी भी है. सबकुछ जब लुटा चुके हों तो घोंषणा क्या कर सकते है,झांसा दे सकते हैं पूर्व के और भविष्य के खर्चे जोड़ अनुमान बताना पैकेज नहीं होता.