कर्नाटक में जनता दल सेक्युलर (जेडीएस)-कांग्रेस गठबंधन सरकार के भविष्य पर फैसले के लिए गुरुवार को विधानसभा में विश्वासमत होना है। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार इन दिनों मुश्किल हालातों से जूझ रही है। गठबंधन सरकार की दिक्कतों में इजाफा तब और हो गया जब सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला दिया कि सत्ताधारी गठबंधन के भविष्य के फैसले के लिए बागी विधायकों को विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
असेंबली में नंबर गेम पर BJP आश्वस्त!
अदालत के फैसले को राजनीतिक हलकों में बागी विधायकों के लिए राहत माना गया क्योंकि इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि उन्हें एक विकल्प दिया जाना चाहिए कि वे विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेना चाहते हैं या उससे दूर रहना चाहते हैं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विधायकों के इस्तीफे पर फैसला स्पीकर करें। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर नियमों के अनुसार फैसला करें। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘हमे इस मामले में संवैधानिक बैलेंस कायम करना है। स्पीकर खुद से फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। उन्हें समयसीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।’
‘सदन में कुल सदस्य संख्या पहुंच जाएगी 208’
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि स्पीकर केआर रमेश कुमार बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करें। ऐसे में पहली संभावना यह बनती है कि स्पीकर रमेश कुमार 15 बागी विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लें। वहीं, एक कांग्रेस विधायक रोशन बेग अभी निलंबित चल रहे हैं और उनका भी इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। ऐसे में अगर बहुमत परीक्षण होता है तो सदन की कुल सदस्य संख्या 224 से घटकर 208 पहुंच जाएगी। बहुमत हासिल करने के लिए 105 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी लेकिन कुमारस्वामी सरकार के पास 101 विधायकों (स्पीकर और 1 बीएसपी विधायक समेत) का ही समर्थन बचेगा। इस्तीफा मंजूर होने पर कांग्रेस विधायकों की संख्या 79 से घटकर 66 और जेडीएस विधायकों की 37 से घटकर 34 हो जाएगी। ऐसे में बीजेपी को फायदा हो सकता है, जिसके पास 105 विधायकों के साथ ही दो निर्दलीय विधायकों (एच नागेश और आर शंकर) का भी समर्थन है।
‘बागी विधायक विधानसभा आने के लिए स्वतंत्र’
कर्नाटक सरकार को झटका देते हुए CJI ने कहा, ’15 बागी विधायकों को भी सदन की कार्यवाही का हिस्सा बनने के लिए बाध्य न किया जाए।’ CJI ने कहा कि इस मामले में स्पीकर की भूमिका एवं दायित्व को लेकर कई अहम सवाल उठे हैं, जिनपर बाद में निर्णय लिया जाएगा लेकिन अभी हम संवैधानिक बैलेंस कायम करने के लिए अपना अंतरिम आदेश जारी कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है कि बागी 15 विधायकों पर पार्टी का विप लागू नहीं होगा यानी बागी विधायक विधानसभा में आने के लिए स्वतंत्र हैं। इस बात की भी संभावना है कि गुरुवार को विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा और वोटिंग के दौरान बागी विधायक गैरहाजिर रहें। ऐसे में बीजेपी को लाभ मिल सकता है।
अयोग्य ठहराए जाने पर क्या होगा?
अगर स्पीकर सभी 15 बागी विधायकों को अयोग्य ठहरा देते हैं तो सदन में संख्याबल घट जाएगा। ऐसे में 209 विधायकों के पास ही बहुमत परीक्षण में हिस्सा लेने का अधिकार होगा और बहुमत का गणित भी घटकर 105 पहुंच जाएगा। इस स्थिति में सरकार बचाने के लिए जेडीएस-कांग्रेस को बीजेपी के खेमे में सेंध लगानी पड़ेगी। इन सबमें दो निर्दलीयों का रुख भी काफी अहम रहेगा। फिलहाल निर्दलीय बीजेपी के साथ दिखाई पड़ रहे हैं लेकिन बहुमत परीक्षण के वक्त पाला बदलने का पुराना इतिहास रहा है। ऐसे में तस्वीर पलट भी सकती है।
इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ तो क्या होगा?
एक दूसरी तस्वीर यह है कि स्पीकर केआर रमेश कुमार बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर न करें। ऐसी सूरत में वे सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं। अगर 15 बागियों में से कम से कम 6 विधायक विश्वासमत में शामिल होते हैं, साथ ही पाला बदलते हुए कुमारस्वामी सरकार के समर्थन में वोट देते हैं तो कांग्रेस-जेडीएस सरकार बच सकती है।
बागी विधायक बोले- पीछे हटने का सवाल ही नहीं
कांग्रेस के बागी विधायक बीसी पाटिल ने मीडिया को जारी एक विडियो में कहा, ‘हम माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से खुश हैं, हम उसका सम्मान करते हैं।’ इससे सत्ताधारी गठबंधन की उन्हें वापस अपने पाले में लाने की उम्मीदें और कम हो गई। पाटिल के साथ कांग्रेस-जेडीएस के 11 अन्य विधायक भी थे, जिन्होंने इस्तीफा दिया है। पाटिल ने कहा, ‘हम सभी साथ हैं और हमने जो भी निर्णय किया है…किसी भी कीमत पर (इस्तीफों पर) पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता। हम अपने निर्णय पर कायम हैं। विधानसभा जाने का कोई सवाल नहीं है।’