नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बुधवार को दिल्ली सरकार और नागरिक निकायों को लैंडफिल साइटों से कूड़ा हटाने के लिए 250 करोड़ रुपये जमा करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सख्त चेतावनी भी दी है कि अगर दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो किसी भी अधिकारी को सैलरी नहीं मिलेगी। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइट में 2.8 करोड़ टन से ज्यादा कूड़ा पड़ा हुआ है। यह आसपास के जमीन के पानी को दूषित कर रहा है। इसके साथ ही यह यमुना मे पहुंच रहा है।एनजीटी ने आदेश दिया कि इन लैंडफिल साइट्स से कूड़े के निस्तारण का काम मानसून खत्म होने के बाद एक अक्तूबर से शुरू हो जाना चाहिए। तब तक एक समिति का गठन किया जाए। इसमें दिल्ली के प्रमुख सचिव, शहरी विकास सचिव, तीनों निगमों के साथ ही एनडीएमसी के आयुक्त, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव शामिल हों ताकि वह इन साइटों के प्रबंधन करने में तकनीकी मदद दे सकें।
इससे पहले एनजीटी दिल्ली के नगर निगमों को कूड़ा निपटारे के लिए उठाए गए कदमों पर एक कार्रवाई रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दे चुकी है। एनजीटी ने यह आदेश उस खबर के बाद दिया था, जिसमें यह दावा किया गया था कि भलस्वा, गाजीपुर और ओखला लैंडफिल साइटों के आसपास का भूजल दूषित हो गया है। ट्रिब्यूनल ने कहा था कि ठोस कूड़ा नियम, 2016 के प्रावधानों के मद्देनजर एकत्र किए गए कूड़े का निपटारा करना और इससे जुड़े मुद्दे संबद्ध नगर निगमों का है।