सासाराम: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई ने देश की परिस्थितियां बदल दी है. हमारी अर्थव्यवस्था ने इसकी जो कीमत चुकाई है उससे उत्पन्न देश के अस्त-व्यस्त हालात ने आम आदमी को चिंतित कर दिया है. वरिष्ठ नागरिक तथा पेंशनर भी इससे अछूते नहीं है. ये बाते नेशनल सीनियर सिटीजन एसोसिएसन के राष्ट्रीय महासचिव रामायण पांडेय एलौन रविवार को आयोजित वरिष्ठ संघीय पदाधिकारियों की विशेष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक का संचालन करते हुए कही.
लॉकडाउन के कारण बैठक वीसी के माध्यम से आयोजित किया गया जिसमें दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखण्ड, गोवा, उड़ीसा सहित लगभग सभी राज्यों के संघीय पदाधिकारियों ने भाग लिया. एलौन ने कहा की इस लड़ाई में फ्रंटलाइन योद्धायों के साथ हरेक देशवासी ने अपने-अपने तरीके से साथ दिया है. पेंशनर एवं वरिष्ठ नागरिक भी यथा संभव पीएम, सीएम रिलीफ फंड में सहयोग किये है. हम सभी ने कोरोना के खिलाफ युद्ध में सेना सहायक की भूमिका निभाई है लेकिन उसके बदले में सरकार उनका ख्याल नहीं रख रही है. पेंशनरों, कर्मचारियों का महंगाई भत्ता रोक दिया है जो न्यायोचित नहीं है. एलौन ने बताया की पेंशनर एवं वरिष्ठ नागरिकों का पेंशन के अतिरिक्त आय का कोई साधन नहीं होता है, जो बुजुर्ग अन्य काम-धंधा कर जीवन निर्वाह करते है उनका भी रोजी-रोजगार बंद है. सरकार के तरफ से उन्हें पर्याप्त सहायता नहीं पहुचाई गई है. बिना राशन कार्ड वाले बुजुर्गों का सर्वे के नाम पर अबतक महज खानापूर्ती ही की गई है, उन्हें न तो राशन मिल सका है और ना ही सहायता राशि. एक साल से आवेदन देने के बाद भी बहुत सारे बुजुर्ग वृद्धजन पेंशन योजना से वंचित हैं. वरिष्ठ नागरिकों को कमाकर खिलाने वाले उनके परिवारों का भी रोजगार ठप है जिससे वे गम्भीर आर्थिक संकट से जूझ रहे है. उनके लिए की गई सरकारी घोषणाएं अबतक मात्र हवा-हवाई बनकर रह गई हैं धरातल पर जरूरतमंद बुजुर्गों को कुछ भी नहीं मिल सका है. इस समय बहुत सारे वरिष्ठ नागरिक देश के विभिन्न भागों में फंसे हुए है जो सुरक्षित अपने घर वापस आना चाहते है. सरकार द्वारा चलाई जा रही विशेष रेल गाड़ियों के किराए में पुरुष वरिष्ठ नागरिकों को 40% तथा महिला यात्रियों को 50% रियायत नहीं दी जा रही है. उन्होंने कहा की अर्थव्यवस्था को दुबारा पटरी पर लाने के लिए कड़े कदम उठाने जरूरी है ऐसे में सरकार को बड़ी गैरजरूरी सरकारी खर्चे रोकने चाहिए न की नागरिकों के जीविकोपार्जन की राशी में कटौती करनी चाहिये.
उन्होंने कहा की हलाकि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए सरकार द्वारा बीस लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज का ऐलान किया गया है जिसको वास्तविक जरूरतमन्दों तक पहुचाने की आवश्यक्ता है. हम सरकार के साथ कंधे में कन्धा मिलाकर चलने को तैयार है. उन्होंने कर्मचारियों के वेतन भतों में कटौती नही करने, पेंशनरों के रोकी गई महंगाई भत्ता को बहाल कराने, सुविधाहीन बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखने, वृद्धजन पेंशन योजना के लंबित आवेदनों का तत्काल निष्पादन कर पेंशन देने, वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराये में पूर्व की भांति रियायत बहाल कराने, अपने राज्य एवं ज़िलों से बाहर फंसे हुए वरिष्ठ नागरिकों को विशेष माध्यम से सुरक्षित उनके घर तक पहुचाने की व्यवस्था करने की मांग केंद्र एवं राज्य सरकारों से करते हैं. तथा इस सम्बन्ध में उन्होंने पीएम को चिठ्ठी भेज समस्याओं का समाधान करने का आग्रह किया है.
रिटायर्ड जज पीएन राय ने बुजुर्गों के कल्यार्थ खर्च के लिए अलग से वरिष्ठ नागरिक वेलफेयर फंड बनाने का सुझाव दिया. प्रधानमंत्री द्वारा घोषणा के बाद भी वरिष्ठ नागरिको के खाते में अबतक एक हजार रुपया नहीं आने पर चिंता व्यक्त की गई. वीसी में महर्षि अंजनेशजी महाराज, सेवानिविरित जज उपेंद्र भूषण मिश्रा, पारशनाथ राय, अम्रेंद्रपति त्रिपाठी, चन्द्रिका यादव, आर.पी.एलौन, माया पांडेय, राजकुमार शर्मा, हीरालाल पांडेय, डा.नीलिमा सिह, प्रो.शीतला प्रसाद तिवारी, भगवत प्रसाद(पूर्व डीआईजी), भरत सिंह, विशेस्वर शर्मा, गिरिधर पाठक, एन कनका राव, नीरज चौबे, निरंजन दास, पशुपतिनाथ वागवारी, योगेंद्र मिश्रा, अवधेश शुक्ला, पंडित चंद्रप्रकाश,रोहित शर्मा, शिवप्रसाद सिह, सुग्रीव प्रसाद सिंह, डा.वीरेंद्र प्रसाद, रामनिवास इंडिया, वी.एन चौधरी, ओपी शर्मा, कुमारनाथ झा, सत्यनारायण स्वामी, पंडित शिवपूजन चतुर्वेदी, सावित्री वर्सेय (अमेरिका से), शिवमूरत सिह, अशोक कुमार, हरिपद रवानी, जगनाथ प्रसाद, पी.के. सिंह, कामेश्वर सिह, अरुण पांडेय, एनसी साहू, अमरदेव जयसवाल, राम, कुमार झा, ई.एन.के सिह, जीएन दुबे, जीनत हसन खान, श्यामनारायण ठाकुर, महेंद्र मिश्रा, शिवमूरत सिह, रमाशंकर पांडेय, पूजा पांडेय, पारश पांडेय, जगरोपन सिह, सुदामा प्रसाद भारती, राजीवरंजन विद्यार्थी, उमा प्रसाद गुप्ता, बसन्ती त्रिपाठी, नर्वदेश्वर पांडेय (वरीय अधिवक्ता), काशीनाथ पांडेय, ई.शिवदयाल सिह, पार्वती देवी, संतोष कुमार पांडेय, रामनिवाश दुबे, रामनाथ झा, इरफान खाँ, काशीनाथ मिश्रा, अशोक श्रीवास्तव, इंद्रचंद प्रसाद गुप्ता, बिरज पांडेय, सत्यम पांडेय, रामकृत प्रजापती, दिनेश तिवारी, श्रीराम तिवारी, ललित कुमार सिन्हा, प्रो.डीपी श्रीवास्तव, ई.रामजी दुबे सहित अन्य लोगों ने भी अपना विचार व्यक्त किया.