जिंदगी में नहीं सोचा होगा एक दिन ऐसा भी आएगा अर्थी के लिए चार कांधे बमुश्किल मिलेंगे!!
दफनाने के लिए जमी भी कम पड़ जाएगी; शादियां तो होंगी लेकिन वह शानो-शौकत नहीं रहेंगे लेकिन आज जो सोचा ना था वह सामने है !!
वैश्विक महामारी नोबेल कोविड-19 ने जहां देश-दुनिया को उस चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है जहां रास्तों की भूलभुलैया के बीच हर
जिंदगी भविष्य की तलाश कर रही है! इस संकट की घड़ी में इंसान को कुछ उसकी गलती के भी सबक मिल गए हैं!!
प्रकृति से खिलवाड़; पर्यावरण को दूषित करना; नदियों तालाबों में गंदगी
पशु-पक्षियों की हत्या; इसका परिणाम है आज प्रकृति हमसे विमुख हो गई है!!
शायद इतना बड़ा सबक लेकर इंसान अपने कर्मों में सुधार कर अब नए उजाले की ओर बड़े!!
स्वच्छ और कल-कल बह रहा नदियों का जल
पर्यावरण विदों के अनुसार इन दिनों देश में बहने वाली हर नदी का पानी बिना रोक-टोक कल कल बह रहा है! कभी काला तो कभी गंदगी में सराबोर यह पानी असली मायनों में अपना रंग बदल कर नीला हो गया है और इसे अब पानी नहीं ”जल” की संज्ञा दी गई है! बात चाहे गंगा की हो या जमुना-सरस्वती की या कावेरी.
और मध्य प्रदेश से निकली नर्मदा की…कल-कल बहता जल 45 दिन के लॉक डाउन के कारण स्वच्छ हो गया है!!
इसके अलावा धरती ने हरियाली की चुनर ओढ़ ली है ! वृक्षों ने
नया रूप ले लिया है तो जंगल में विचरण करने वाले जानवर अपने दुश्मनों से बेफिक्र होकर शहर की सड़कों पर विचरण कर रहे हैं!!
कुल जमा सौ फ़ीसदी सच यह है कि 45 दिन इंसानों के घरों में कैद होने के कारण प्रकृति निखर गई है!!
प्रकृति यूं ही मुस्कुराती रहे और ऐसी आपदाएं हम पर फिर ना आए इसलिए सबक है प्रकृति को खुश करो और सहेजो…वरना दोबारा की गई भूल के भयावह परिणाम होंगे!!
अपराधों का पायदान नहीं चढ़ सके बदमाश
अपने शहर से लेकर देश मैं होने वाले अपराधों के आंकड़ों पर एक नजर डालें तो यह ग्राफ लगभग 70 फ़ीसदी कम हुआ है! बदमाशों और समाज के दुश्मनों ने भी कोरोना के डर का ऐसा चोला ओढ़ा की रात के अंधेरों में तो ठीक ; दिन के उजाले में भी निकलना मुनासिब नहीं समझा!! उन्हें डर लॉक डाउन का नहीं बल्कि एक छोटे से वायरस ने उनके दिलों में ऐसा खौफ भर दिया की अपराध जगत के धुरंधरों ने 45 दिन अपराध करने से तौबा कर ली!! बात चाहे बलात्कार; चोरी और हत्या
जैसे जघन्य अपराधों की हो चाहे ट्रैफिक के नियम तोड़ने वालों की सभी ने कमोवेश बहुत कमी आई है !!
कोरोना के डर से ऐसे लोगों ने हथियार डाल दिए हैं और यदि वाकई में बिना अपराध किए इनका गुजारा 45 दिन चल गया तो इन्हें भी अपराध जगत से तौबा करने का एक नया रास्ता मिला है !!
कहने का मतलब बदमाशों को भी एक सीख मिली है अपराध करने से समाज में क्या होता है और ना करने से समाज कितना सुखी रहता है ! उन्हें मौका है अब ईमानदारी और मेहनत के पसीने से 2 जून की रोटी कमाए और अपराध से तौबा करें!!
लॉक डाउन में सीखी, छोटी-छोटी बचत
बाजार बंद ; घर में सीमित सामान; फिजूल खर्च कर देंगे तो गुजारा कैसे चलेगा? यह सोचकर हर शख्स ने लॉक डाउन के बीच छोटी-छोटी बचत करना भी जीवन का मूल मंत्र मान लिया है!
आर्थिक तंगी और शहर कब खुलेगा; कब सामान मिलेगा ? इस गुणा-भाग में बहुतेरे लोगों ने दो पैसों की बचत के अलावा घर के राशन की भी बचत करना सीख लिया है !!
जिन घरों में भोजन फेंका जाता था; महीने भर की राशन सामग्री 20 दिन में खत्म हो जाती थी! पॉकेट खर्च बहुत ज्यादा था ऐसे लोगों ने मुसीबत के इन पलों में शायद सबक ले लिया है की जीवन में हर चीज की बचत मुसीबत में मददगार बन जाती है!!
इंसान की जिंदगी मैं इम्तिहान के इस वक्त ने बचत करना भी सिखाया! इस महामारी के बीच भी यह टिप्स हमारे लिए बहुत बड़ी कामयाबी से कम नहीं!! कोई कहता था हम शराब के बिना जिंदा नहीं रह सकते ; कोई कहता था सिगरेट गुटखा के हम आदी हैं लेकिन इस कठिन दौर में इन बुराइयों के ना मिलने से भी इंसान की जिंदगी में कोई खास फर्क नहीं पड़ा उन्हें भी सबक लेना चाहिए और शराब जैसे जानलेवा शौक से हम अलविदा कह दें!!
बदल गई डॉक्टर की परिभाषा
यूं तो डॉक्टर को हमेशा भगवान का दर्जा दिया गया है; लेकिन हम शायद भूल गए थे की यह सत्य है या जुमला !!
मौत के शिकंजे में आने वालों और उनके परिवार वालों के अलावा इस बीमारी से खौफज्दा देश-दुनिया के लोगों ने यह मान लिया है डॉक्टर प्रोफेशनल नहीं हमारे भगवान हैं!!
कोरोना महामारी के बीच जिंदगी और मौत से लड़ रहे इंसानों को बचाने का काम इन्हीं भगवान ने किया है !!
विडंबना देखिए मुसीबत के क्षणों में इंसान भगवान के दर पर भीख मांगने जाता है लेकिन भगवान के भी फरियाद सुनने के लिए पट बंद है!!
ऐसे में डॉक्टरों ने ही भगवान के रूप में अवतार लेकर इंसानों की जिंदगी अंधेरे से फिर उजाले में लाकर खड़ी की हैं! मुसीबत के पल हमें सिखा गए हैं डॉक्टर धरती पर भगवान का ही रूप है!
समाजसेवियों को भी नमन
बिना सहयोग जिंदगी की गाड़ी नहीं चलती !! यह साबित कर दिया है समाजसेवियों ने ..जब जब हमारे देश पर मुसीबत के बादल छाए हैं; समाज में कुछ कर गुजरने की हसरत रखने वालों ने लोगों की मदद कर बता दिया है समाज मैं एकता और भाईचारा क्या होता है!!
बात चाहे रतन टाटा की हो या आपके शहर के समाजसेवी की …इस त्रासदी के बीच हजारों लोगों के लिए ये भागीरथ उम्मीद की किरण बनकर आए हैं!!
लॉक डाउन के बीच कई घरों में चूल्हे नहीं जले; दो वक्त की रोटी के लिए लाखों निगाहें दूसरों की दरों की आस लगाए थे लेकिन इन समाजसेवियों ने अपनी जिम्मेदारी और भारत की संस्कृति को आत्मसात कर बता दिया हमारे देश में एकता; भाईचारा और दुख में मदद करने वालों की कमी नहीं है !! यह सीख भी यह कौराना हमें सिखा गया…!!
एक दौर ऐसा आया है जो गुजर जाएगा लेकिन भारी मुसीबत और त्रासदी कॉल का यह चक्र हमें जिंदगी जीने के तरीके सिखा रहा है….!!