लंदन: महान अर्थशास्त्री नूरील रोबिनी ने कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में लंबे समय तक गिरावट और सुस्त रिकवरी की चेतावनी दी है.
अपनी सटकी भविष्यवाणियों के लिए जाने वाले नूरील को डॉ. डूम के नाम से भी जाना जाता है. इस बार उन्होंने कोरोना महामारी से उपजे आर्थिक संकट को लेकर चेतावनी जारी की है.
नूरील का कहना है, इस संकट के चलते जो कुछ नौकरियां गई हैं वो कभी वापस नहीं आएंगी क्योंकि वायरस के खतरे के बाद बाजार सालों तक तेज रफ्तार नहीं पकड़ पाएगा.
बीबीसी के साथ बातचीत में रोबिनी ने बताया, कोई यह कहे कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के प्रभाव के बाद इस साल ठीक हो जाएगी तो यह सिर्फ भ्रम में डालने जैसा है. रोबिनी ने इस बार बड़ी मंदी की भविष्यवाणी की है.
बता दें प्रोफेसर रूबिनी की बात हमेशा सच साबित होती है. साल 2008 में जब किसी को वैश्विक मंदी का अंदाजा नहीं था, तब सबसे पहले रोबिनी ने कहा था कि अमेरिका का बाजार धड़ाम होने वाला है और उनकी बात सही निकली. उस वक्त पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ा था.
इस बार लड़ाई कोरोना वायरस के खिलाफ है. रोबिनी की मानें तो, दुनिया वायरस से जंग तो जीत जाएगी मगर उसके बाद मार्केट की सुस्त चाल को पटरी पर लाना बड़ा मुश्किल होगा.
न्यूयॉर्क में अपने घर से बीबीसी के टॉकिंग एशिया कार्यक्रम में रोबिनी ने बताया, “2008 मंदी के दौरान बाजार गिरने में तीन साल लग गए थे. मगर इस बार तीन साल या महीने छोड़िए, तीन हफ्ते में मार्केट नीचे आ जाएगा. यानी कि इस बार अर्थव्यवस्था तेजी से गिरेगी. इसका असर कई देशों में अभी से दिखने लगा है.
मार्केट की रिकवरी को लेकर कुछ अर्थशास्त्री यू रिकवरी की बात कर रहे मगर रोबिनी की राय सबसे अलग है. वह मार्केट को एल रिकवरी की नजर से देख रहे, जिसे ग्रेट डिप्रेशन भी कहा जाता है. यू-आकार की रिकवरी का मतलब है कि बाजार एकदम से नीचे गिरता है और फिर लंबे समय तक धीमी या कोई वृद्धि के बाद ही उठता है.
वहीं एल आकार की रिकवरी सबसे कठिन मानी जाती है. इसमें बाजार पहले तेजी से नीचे आता है और लंबे समय तक बना रहता है. इसे उठने में सालों लग जाते हैं.