नीता शेखर,
आज की दुनिया झूठ की दुनिया है. आज हर इंसान एक दूसरे को मात देने में लगा हुआ है. सब के दो चेहरे हैं. आप किसी पर भरोसा नहीं कर सकते. किसने कौन सी नकाब पहन रखी है, यह पता करना बहुत ही मुश्किल है.
पहले लोग आदमी की सूरत देखकर पहचान लिया करते थे कि उसका चरित्र कैसा होगा. इसी भरोसे पर शादी भी हो जाती थी. मगर आज जमाना बदल गया है. आधुनिकता की होड़ में सभी दौड़े चले जा रहे हैं चाहे उसके लिए उन्हें कुछ भी करना पड़े. आज इंसान अपने आप पर भरोसा नहीं कर सकता दूसरे की बात तो छोड़ ही दीजिए.
पहले लोग बिना एक दूसरे को देखे जाने शादी कर लेते थे. केवल एक भरोसा और उम्मीद पर कि जो होगा भरोसा रखना होगा पर आज के हालात ऐसे हो गए हैं इस सब कुछ जान कर पता करके छह महीना बात करके भी दूसरे पर भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि इंसान को खुद ही अपने आप पर भरोसा नहीं है.
भरोसा ही तो नहीं कर पाए थे छवि और विनीत. दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे. साथ साथ काम करते हुए कब उन्हें प्यार हो गया पता ही नहीं चला. कुछ दिनों बाद उन्होंने शादी कर ली. सब कुछ आराम से चल रहा था. उन्होंने बड़े प्यार से बेंगलुरु में अपने लिए फ्लैट भी खरीद लिया था. छवि गुजराती थी. आज के जमाने में ऐसे इन सब बातों पर कोई ध्यान नहीं देता और देना भी नहीं चाहिए. इसी बीच छवि की मां उनके घर आई. उसकी मां विनीत को पसंद नहीं करती थी, पर बेटी के आगे झुकना पड़ा था. यह बात भी वह बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. उन्होंने अब हर चीज में टांग अड़ाना शुरू कर दिया था. वह अपनी ही बेटी को विनीत के खिलाफ भड़काने लगी जिससे घर का माहौल तनावपूर्ण हो चला था. जिन्होंने एक दूसरे पर भरोसा रख कर शादी की थी. अब उनकी गिरस्थी डोलने लगी थी.
विनीत की मां किसी भी रिवाज को कहने के लिए कहती तो छवि साफ मना कर दिया करती थी. विनित पर वर्क लोड बढ़ गया था इसलिए घर आने में लेट हो जाया करता था. घर आते ही ताने और उलाहना का दौर शुरू कर देती थी पहले तो उसने छवि को समझाने की काफी कोशिश की, मान भी जाती थी. मगर 2 दिन बाद फिर अपनी मां के बहकावे में आ जाती.
विनीत को अपनी गिरस्थी डोलती नजर आ रही थी पर वह चुपचाप ही रहता क्योंकि नहीं चाहता था उसकी वजह से घर में कोई परेशानी हो. इसलिए वह अक्सर चुप चुप रहने लगा. मां वापस जाने का नाम ही नहीं ले रही थी. अब आए दिन घर में तनाव बढ़ता जा रहा था. जिस भरोसे पर उन्होंने एक-दूसरे का हाथ थामा था. वह टूटने लगा था. ऐसा लगता था कि उनका तलाक करवा कर ही रहेगी. हद तो तब हो गई जब छवि ऑफिस गई हुई थी और विनीत की छुट्टी थी. विनीत को खाने तक नहीं पूछा और खुद ही बनाकर खा भी लिया. छवि के घर आते ही रोने लगी कि आज भी खाना नहीं बनाने दिया और कहा कि आप यहां से चले जाइए.
इतना सुनते ही छवि भड़क उठी. फिर उसकी मां ने विनीत और छवि के साथ महाभारत शुरू करवा दी थी. अब तो वह बेटी के मन में विनीत के खिलाफ शक भी डालना शुरू कर दी थी. विनीत आए दिन परेशान हो उठा था. इसलिए वह काम के बहाने ऑफिस में ही रुकने लगा. इसी बात का फायदा उठाकर छवि कि मां घर में महाभारत करवा देती थी. इसी बीच एक अच्छी बात यह हुई कि छवि को पता चला वह मां बनने वाली है. बहुत दिनों बाद उसे लगा घर में खुशियां आई है. सब बहुत खुश थे, विनीत
भी सोच रहा था कि चलो अब धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा. छवि को समझाता खुश रहा करो. अच्छे से खाओ. पियो और लड़ाई मत करो. अब उसकी मां ने छवि को उसके खिलाफ भरना शुरू कर दिया था. तुझे मां बना के घर पर रख देगा, खुद बाहर मस्ती करेगा. तेरा कैरियर नौकरी सब कुछ चौपट हो जाएगा. हम लोगों ने इसके लिए तुझे थोड़ी ही पढ़ाया था. दरअसल मां को लगता था छवि हम लोग को पैसे नहीं देगी क्योंकि वह हर महीने कुछ पैसे मां को दिया करती थी. वह बार-बार बच्चे को नष्ट करने के लिए उकसाते रहती थी कि छवि अभी मां नहीं बने. इसी बीच हुआ भी वैसा ही छवि ने बिना बताए जाकर बच्चे को नष्ट कर दिया.
अब विनीत को पता चला तो उसके सब्र का बांध टूट गया. उसने उस दिन छवि की मां को बहुत डांटा और छवि को भी, उसके सपने चूर-चूर हो गए थे. अब उसका भरोसा डगमगाने लगा था. छवि में भी कुछ सुधार नहीं हुआ था. जिस भरोसे और विश्वास पर उन लोगों ने शादी की थी वह आज एकदम से डगमगा गई थी.
छवि ने एक दिन विनीत से कहा मैं तुम से तलाक लेना चाहती हुं. विनीत को एक पल का झटका लगा. उसने समझाने की काफी कोशिश की पर वह मानने को तैयार नहीं थी. फिर उसने तलाक के पेपर कोर्ट में भिजवा दिए. विनीत काफी परेशान होता जा रहा था. वही हुआ जिसका डर था. सभी ने सारे सामान के साथ-साथ फ्लैट पर भी कब्जा कर लिया था. विनीत बिल्कुल तंग हाल हो गया था. उसे अपने दोस्त के घर में दो-तीन दिन रहना पड़ा. दोनों में तलाक हो गया. दोनों का भरोसा एक दूसरे से हट गया था सबसे ज्यादा कोई अगर खुश था तो वह थी छवि की मां. विनीत काफी मायूस हो गया था. उसने बेंगलुरु छोड़ दिया, उस पर इतना गहरा असर हुआ कि उसे उस सब से निकलने में एक साल लग गया. उसे बार-बार यही लगता क्या कोई इंसान इतना बदल सकता है. जिसने उसको इतना चाहा था आज उसी ने ऐसा धोखा दिया.
इसलिए आज की दुनिया में आप किसी पर भरोसा ही नहीं कर सकते अगर आप भरोसा करते हैं तो वह धोखा ही खाते हैं फिर सारी उम्र यही सोचने में लग जाती है कि मेरी क्या गलती थी मैंने क्यों उस पर भरोसा किया.