रांची: वैश्विक महामारी कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण से मानव समुदाय को बचाने के लिए चल रहे युद्ध की अग्रिम पंक्ति में स्वास्थ्यकर्मी, सफाईकर्मी, पुलिसकर्मी, मीडियाकर्मी सहित स्वयंसेवी संस्थाएं और सामाजिक कार्यकर्ता डटे हैं. ऐसे ही योद्धाओं में शामिल हैं राजधानी के तुपुदाना स्थित आरके मिशन रोड निवासी कर्मयोगी समाजसेविका शांति सिंह.
समाजसेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें जाना जाता है. उनके पुत्र दिलबाग सिंह भी अपनी मां के पदचिन्हों पर चलते हुए समाजसेवा के लिए समर्पित रहते हैं.
कोरोना से बचाव के लिए किए गए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा होते ही मां-बेटे प्रभावित गरीबों व जरूरतमंदों की सेवा में जुट गए.
गौरतलब है कि सिंह एक लोकप्रिय समाजसेविका और ऑल इंडिया वीमेन्स कांफ्रेंस की हटिया-तुपुदाना शाखा की अध्यक्ष हैं. वहीं, उनके पुत्र दिलबाग सिंह एक सामाजिक कार्यकर्ता व लाइट हाउस कैफे एंड किचन रेस्टोरेंट के संचालक हैं. पीड़ितों की सेवा के प्रति मां-बेटे के जज्बे और जुनून को देखकर ऐसा प्रतीत होता है, मानो जनसेवा को ही उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य बना रखा है.
जरूरतमंदों, गरीबों, बेघर और बेसहारा लोगों की सेवा करना मां-बेटे की दिनचर्या में शुमार है. लाॅकडाउन के दौरान गरीबों के लिए उनके आवासीय परिसर स्थित हैप्पी चिल्ड्रेन स्कूल में प्रतिदिन दोपहर में भोजन की व्यवस्था रहती है. उनके सौजन्य से 24 मार्च से लगातार गरीबों के लिए लंगर चलाया जा रहा है. समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं और समाजसेवियों की ओर से भी इसमें सहयोग किया जाता है.
लाॅकडाउन के तीन चरणों में उन्होंने अब तक आसपास के लगभग पन्द्रह हजार गरीबों को भोजन कराने के अलावा सैंकड़ों जरूरतमंदों को खाद्यान्न व अन्य सामग्री मुहैया कराया. लाॅकडाउन के चौथे चरण में भी गरीबों व जरूरतमंदों को भोजन कराने का सिलसिला जारी है.
सिंह ग्रामीणों को कोरोना से बचाव के लिए घरों में रहने की हिदायत देती हैं. वहीं, उनके पुत्र दिलबाग लाॅकडाउन के दौरान फंसे लोगों की सहायता के लिए सदैव तत्पर रहते हैं. कोरोना काल में खासकर बेसहारा,बीमार, लाचार व गरीबों की सेवा के प्रति मां-बेटे का समर्पण अनुकरणीय ही नहीं, बल्कि प्रेरणास्रोत भी बना है.
शांति सिंह कहती हैं कि समाज में हर व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पीड़ितों की सेवा कर देश और समाज के प्रति समर्पित भाव से जिम्मेदारी निभानी चाहिए. शांति सिंह का मानना है कि अकस्मात आए वैश्विक आपदा के समय सबों को संयम से काम लेने की आवश्यकता है. अपने घरों में रहकर रचनात्मक कार्यों में रुचि जगाएं. लाॅकडाउन के तहत एहतियात बरतने से काफी हद तक कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव हो सकता है.