By: Dr. Reena Bharti
शब्दों की उत्पति का एक निश्चित स्थान, पथ, दिशा एवं कालांतर में अपभ्रंश का एक कालचक्र होता है जो एकरेखीय, बहुरेखीय अथवा सामानांतर दिशा में उन्मुख हो सकती है. शब्द एवं शब्दों के समूह जहां व्यक्ति के अभिव्यक्ति के माध्यम हैं.
वहीं व्याकरणिक तौर पर इसको अनेक प्रकार से वर्णित एवं वर्गीकृत किया गया है. शब्दों की उत्पति का एक निश्चित अथवा अनिश्चित इतिहास हो सकता है परन्तु उसका वर्तमान स्वरुप व्यक्ति की स्वीकृति एवं प्रसार पर निर्भर करता है. संभव है कि व्याकरणिक तौर पर, शब्दकोशीय अथवा विषयगत अर्थ भिन्न हों परन्तु शब्दों की लोकप्रियता पूर्णरूपेण उसके प्रसार पर निर्भर करती है.
कई बार शब्दों की लोकप्रियता के आधार पर उसे व्याकरणिक स्वरुप भी प्राप्त होता है. जैसे प्रचलित फिल्म ‘स्लमडॉग मिल्लेनेयर’ में प्रयुक्त शब्द ‘जय हो’ को लोकप्रियता के आधार पर अंग्रेजी शब्दकोष के दसलाखवें शब्द के रूप में मान्यता प्राप्त हुई एवं पुनर्परिभाषित किया गया. अतः कहा जा सकता है कि कई बार भिन्न अर्थ होते हे भी शब्दों की दशा और दिशा परिवर्तित हो सकती है.
आजकल ऐसी ही एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बनी लोकप्रिय शब्द ‘सामाजिक दूरी’ है जिसका प्रचलित प्रयोग गंभीररुपेण रूप से प्रसरितवाइरसजनित महामारी कोविद-19 अथवा कोरोना के उपाय के रूप में किया जा रहा है जबकि इस शब्द के ऐतिहासिक एवं सामाजशास्त्रीय अर्थ अत्यंत भिन्न रहे हैं .
सामाजिक दूरी शब्द का प्रयोग समाजशास्त्र में व्यापक रुप से अमेरिकी समाजशास्त्री ‘ई. एस.बोगार्ड्स’ द्वारा किया गया है. उन्होंने सोशल डिस्टेंस स्केल (सामाजिक दूरी पैमाना ) निर्मित कर इसे एक ऐसे पैमाने के रूप में परिभाषित किया जो विविध सामाजिक जातीय या नस्लीय समूहों के बीच गर्मजोशी, शत्रुता, उदासीनता या अंतरंगता के स्तर को मापता है.
सरल शब्दों में कहा जाये तो यह समाज में उपस्थित नृजातीय एवं नस्लीय आदि भेदभाव को प्रदर्शित करने हेतु एक पैमाना विकसित किया गया जिसमें व्यक्ति एक विशेष समूह की सामाजिक स्थिति को वर्णित कर सकता है.
इस पैमाने के द्वारा समाज में उपस्थित भेदभाव की तीव्रता को अध्ययन के माध्यम से दर्शाया जा सकता है. हालांकि कई आधार पर इस स्केल की समाजशास्त्रियों द्वारा आलोचना भी की गयी है परन्तु समाजशास्त्र में सामाजिक दूरी को व्यापक रूप से परिभाषित करने का श्रेय इन्हें ही प्राप्त है.
सामान्य इस्तेमाल में सोशल डिस्टेंसिंग अथवा सामाजिक दूरी शब्द का प्रचलित स्वरुप हमें वर्तमान समय में कोविड-19 महामारी से बचाव के सन्दर्भ में दर्शनीय है, जो अंतर्राष्ट्रीय रूप से कुछ अतिआवश्यक प्रतिबन्ध के सन्दर्भ में है जो कोरोना के संक्रमण से रोकथाम करता है.
पारंपरिक शब्दकोशों में प्रत्यक्ष रूप से इस शब्द समूह की चर्चा नहीं की गई है परन्तु आधुनिक मेरिअम वेबस्टर शब्दकोष की मानें तो इसे मेडिकल सन्दर्भ में परिभाषित किया गया है जिसमें इसे एक संक्रामक बीमारी के संचरण के दौरान अन्य लोगों से भौतिक दूरी (जैसे कि छः फीट या अधिक) बनाये रखने का या जोखिम को कम करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर लोगों या वस्तुओं के साथ सीधे संपर्क से बचने का अभ्यास कहा गया है. जिसके लिए अन्य शब्द फिजिकल डिसटेंसिंग अथवा शारीरिक दूरी शब्द का प्रयोग भी किया जा सकता हैच.
कई विश्लेषकों द्वारा ‘सामाजिक दूरी’ शब्द के मूल अर्थ के निहितार्थके कारण उनकी ग्राह्यशीलता प्रभावित हुई है परन्तु इतिहास में कई ऐसे भी उदहारण हैं जब शब्दों की महत्ता उनकी सम्पर्कशीलता के पश्चात् निर्धारित होती है.
अतः शब्दों को एक दायरे में एक निश्चित विषय के अंतर्गत ही बांधा जा सकता है, परन्तु संपर्क भाषा उसे सदैव नए आयाम प्रदान करने में सक्षम है. अतःकहा जा सकता है कि पारम्परिक तौर पर ‘सामाजिक दूरी’ का अर्थ इसके नवीन अर्थ के दायरे को निर्धारित नहीं कर सकता.
वैश्विक रुप से इसकी वर्तमान ग्राह्यता इसके चिकित्सकीय नई परिभाषा को पूर्णरुपेण ग्रहण कर इस शब्द को कोरोना से बचाव के रूप में देखती है जिसमें न सिर्फ शारीरिक दूरी के नियम का पालन किया जाता है वरन वक्तिगत स्वच्छता को भी संचारित किया जाता है.
अतः शब्दों को सिर्फ व्याकरणिक तौर पर ही सीमा में बांधा जा सकता है, वह व्याकरण साहित्य का हो अथवा किसी विषय विशेष का परन्तु, शब्दों के स्वच्छंद विकास को किसी भी प्रकार से बाधित करना सीमित सोच का परिचायक हो सकता है.