साजन मिश्रा
गोड्डा, बसंतराय : पूरे देश में फैले कोरोना महामारी के बाद हुए हालात से जहां आम लोगों को लॉकडाउन के तहत घर में रहकर इस महामारी से निपटना पड़ रहा है. वहीं लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए सरकार एवं विभाग के आदेश को पालन कराने के लिए पुलिसकर्मी सहित दंडाधिकारियों को इस तपिस भरी गर्मी और कड़ी धूप में डटे रहना पड़ रहा है. जी हां! आपने ठीक ही पढ़ा, इस वक्त जहां एक ओर देश और दुनियां के डॉक्टर रात-दिन एक कर कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को ठीक करने की जद्दोजहद कर रहे हैं तो वहीं इसके संक्रमण को रोकने एवं देश में हुए लॉकडाउन के पूर्णतया पालन के लिए बनाये गए चेकनाकाओं पर पुलिस और दंडाधिकारी चौबीस घंटे खुले आसमान में अपनी ड्यूटी करने को मजबूर हैं. ऐसा ही दर्द बयां करती एक ताजा तस्वीर गोड्डा जिला के बसंतराय प्रखंड क्षेत्र के बिहार-झारखण्ड के सीमा पर स्थित सनौर चेकनाका की है,जहां मौजूद कर्मी महज एक फ़टे-चीटे तिरपाल के नीचे अपनी ड्यूटी करने को विवश हैं. मालूम हो कि उक्त चेकनाका सनौर गॉंव से ठीक सटे गेरुवा नदी के पुल पर है और सरकारी विधि-व्यवस्था से पूरी तरह से मरहूम है. हर बार यहां की स्थिति दयनीय होती है. बीते दिन आये अम्फान तूफान ने जहां आम जनजीवन को झकझोर कर रख दिया था वहीं, इस चेकनाका पर कर्मी भींग-भींगकर ड्यूटी किए थे. उस समय यहां लगाए गए टेंट को तेज आंधी ने उखाड़ कर फेंक दिया था. जिसके बाद इस खबर का प्रकाशन भी प्रमुखता से की गई लेकिन जिला प्रशासन की नींद नहीं टूटी.
इस चेकनाका पर मौजूद दंडाधिकारी विवेक कुमार ने बताया कि हमलोग यहां ऐसी ही परिस्थिति में लगातार पिछले दो माह से ड्यूटी कर रहे है. लेकिन यहां की व्यवस्था को लेकर आज तक सुधि नहीं ली गयी. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से गर्मी चरम पर है फिर भी न तो यहां रहने की समुचित व्यवस्था की गई है ना ही पानी पीने का ही बंदोबस्त है.