गर चाहता है जीना साकी, खुशनसीबों की तरह,
तो हर पल में यारा फिर मुस्कुराना सीख ले।।
खत्म कर गर्दिश, गमों का बादल बनी हुई है जो, जो रोक दे बारिश, दु:खों का सागर बनी हुई है जो, बनाकर खुद के सिर पर आशाओं का नया आसमाँ, वक्त के हर मंजर से फिर तू, आफताबी छीन ले,
गर चाहता है जीना साकी, खुशनसीबों की तरह,
तो हर पल में यारा फिर मुस्कुराना सीख ले।।
तूफाँ तो जरिया है, बस, तेरी हिम्मत परखने का, यह बवंडर तो नजरिया है बस, जहन-ए-ताकत समझने का, तू बेपरवाह हो, मिटने के हक से, रोक दे बढ़ते कदम, गुमा कर सब खुद में गुम होना, अब तू इन साहिलों से सीख ले,
गर चाहता है जीना साकी, खुशनसीबों की तरह,
तो हर पल में यारा फिर मुस्कुराना सीख ले।।
जीत ले वह हर खुशी, दूर थी जो अब तक कहीं, भर ले वह सारे पल, जिनकी थी अब तक कमीं, न थक तू न सिहर तू, बस राह पर बढ़ता ही चल, इन बढ़ते कदमों की आहट से, तू अब मंजिल को लाना सीख ले,
गर चाहता है जीना साकी, खुशनसीबों की तरह,
तो हर पल में यारा फिर मुस्कुराना सीख ले।।
गम आकर करें परेशान कभी, बस होठों को हरकत देना, कर बंद दिल के पिटारे में, न होने खुद से रूबरू देना, वक्त चाहे दे सदा कितनी ही, गमों की आशिकी बनकर, तू हर अश्क आंखों में छिपा, बस चेहरा बनाना सीख ले,
गर चाहता है जीना साकी, खुशनसीबों की तरह,
तो हर पल में यारा फिर मुस्कुराना सीख ले।।