“जिंदगी चंद लम्हों के लिए ठहर जाए, सांस थोड़ी देर के लिए रुक जाए, देख लू उस पल को जहां कोहरा ही कोहरा है उन कोहरे से निकलकर रौशनी में जाना है. जीवन भर इंसान इंतजार ही तो करता है… कब जिंदगी से कोहरा हटे की हम रौशनी में जाए. पर हम जिंदगी को जितना भी रोकने की कोशिश करते हैं, वह सुखी रेत की भांति हाथों से फिसलती जाती है.
बचपन कितना मासूम, भोलापन लिए हुए आता है, जिंदगी का सबसे बढ़िया भाग बचपन ही है, ना फिक्र जिंदगी जीने का, ना फिक्र गमों का, ना फिक्र रंजिशों की, ना फिक्र तनहाइयों का… इंसान ने खुद ही अपने आप को इस दुनिया के झमेले में डाल लिया.
बचपन बीता नहीं कि पढ़ने की फिक्र, फिर कमाने की, फिर परिवार चलाने की, फिर बुढ़ापे की फिक्र और इस चक्कर में हम करते हैं इंतजार अपनी सांसों का और बार-बार यह दुआ करते हैं कि जिंदगी थोड़ी देर ठहर जाती कि सभी कोहरे को पार करके रोशनी में जाते.
जिस रौशनी में हम जाना चाहते हैं, वह दरअसल जिंदगी के साथ ही चली जाती है पर इंसान भी मूर्ख ही होता है. हर पल रोशनी खोजने के चक्कर में सारी उम्र गुजार देता है और जब रोशनी मिलती है तो वह जा चुका होता है.
जिंदगी में कितनी गलियां पार करनी पड़ती है. कभी सुख कभी दुख, कभी उदासी, कभी खुशी, कभी खामोशी. यह सब तो इंसान की जिंदगी में चलता ही रहता है… जरूरत है अपनी सोच को बदलने की…
कहते हैं इंसान जैसा रहता है उसके चेहरे पर वही भाव दिखता है. बेहतर तो यह है कि हर इंसान की अपनी अपनी सोच होती है. आप जीवन के नजरिए को जैसा देखोगे वैसा पाओगे.
कहते हैं. “नए पत्ते आते हैं पुराने झड़ जाते हैं”, वैसे ही हमें अपनी जिंदगी से पुरानी बातें निकाल कर फेंक देनी चाहिए, तब आपको पता चलेगा जिंदगी कितनी खूबसूरत है. इस संसार से सभी को जाना है पर पूरी जिंदगी तो आप यह सोचकर नहीं गुजार सकते. अपने जीवन को सकारात्मक सोच में बदलिए… यही जीवन आपको खूबसूरत लगने लगेगी.
इंसान के मन में दो विचार उत्पन्न होते हैं एक सकारात्मक और नकारात्मक विचार. सकारात्मक विचार शिव बाबा की ओर से आते हैं और नकारात्मक विचार इंसान के खुद बनाए होते हैं, इसलिए कोशिश करनी चाहिए मन में नकारात्मक विचार पैदा ना हो, वो आपके मन में शैतानी भाव पैदा करता है.
अगर आप सकारात्मक रहेंगे तो मन में अच्छे विचार आएंगे… कहते हैं सकारात्मक सोच वाले जीवन में सफल हो जाते हैं. आपके मन के विचार आपके स्वभाव से पता चल जाता है. सकारात्मक सोच वाले के आसपास सभी रहना चाहते हैं. हमारी सोच जैसी होगी हम वैसा ही व्यवहार करेंगे.
अगर आप अच्छा सोचते हैं तो अच्छा होगा… आप बुरा सोचते हैं तो बुरा होगा… हां जिंदगी में कभी-कभी इंसान ना चाहते हुए भी उस काम को करने के लिए तैयार हो जाता है जो करना नहीं चाहता. तब हम उसे परिस्थिति और मजबूरी का नाम दे सकते हैं पर उसको अपने जीवन पर हावी नहीं होने देना चाहिए.
दूसरे को तो हम ज्ञान बहुत देते हैं मगर अपने आप को भी वैसा ही बनाए. आपने तो एक कहानी बहुत बार सुनी होगी कि एक बार एक व्यक्ति किसी साधु के पास गया और बोला बाबा मुझे गुटखा खाने की बहुत ही बुरी लत लग गई है, मैंने बहुत कोशिश की छुड़ाने की मगर छूटता ही नहीं है. अब आप ही मेरे जीवन को बचा सकते हैं.
साधु जी करे तो करे क्या… भक्तों को नाराज भी नहीं करना चाहते थे. उन्होंने उस व्यक्ति को 15 दिन बाद आने को कहा… देखते-देखते 15 दिन बीत गये. वह व्यक्ति फिर साधु बाबा के पास पहुंचा तभी उसको गुटखा छोड़ने का उपाय बताया, उसने पूछा आपने इतनी सी बात के लिए 15 दिन बाद क्यों बुलाया…
बाबा ने कहा देखो मुझे भी गुड़ खाने की बुरी लत थी, जब तक मैं अपने आप को सुधार नहीं लेता तो तुम को ज्ञान कैसे देता. कहने का मतलब यही है कि इंसान अगर स्वयं में सकारात्मक सोच रखें तो दूसरे में भी उसे यही दिखाई देगा. यह सब खुद उस व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह अपने जीवन को किस ओर ले जाना चाहता है.
लोग कहते हैं जिंदगी थोड़ी देर के लिए ठहर जा… देख लो उस पल को जहां कोहरे से रौशनी में जाना है पर यह सब नहीं समझ पाता कि रौशनी भी यही है कोहरा भी यही है, आप कोहरे की धुंध को हटा कर तो देखो चारों तरफ रोशनी ही रौशनी है.