खास बातें:-
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कई अफसरों पर गिर सकती है गाज, खुल सकती हैं कई फाइलें
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खान और वाणिज्यकर विभाग में बरती गई हैं कई अनियमिताएं
रांचीः हेमंत सरकार ने भ्रष्टाचार के कई मामलों को संज्ञान में लिया है. इस कड़ी में झारखंड राज्य संचरण निगम लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) निरंजन कुमार के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से कराने का आदेश दिया है.
उनके खिलाफ अपने पुराने परिचयों का दुरुपयोग कर जेयूएसएनएल तथा जरेडा का निदेशक बनने, उस पद हेतु कोई भी तकनीकी अहर्ताएं पूरी नहीं करने, 27 जनवरी 2019 को प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो जाने के उपरांत इनकी प्रतिनियुक्ति अवधि का विस्तार केंद्र सरकार अथवा डीओपीटी में अभी तक प्राप्त नहीं होने की शिकायत मिली है.
निरंजन कुमार के खिलाफ इस अवधि में अपने वेतन की निकासी अवैध रुप से करने एवं सरकार के विभिन्न खातों से लगभग 170 करोड़ का भुगतान करने एवं सपरिवार विदेश भ्रमण करने, अपनी संपत्ति विवरण में अपनी पत्नी के नाम से अर्जित संपत्ति का कोई विवरण नहीं देने तथा निविदा में मनमानी तरीके से किसी कंपनी विशेष को फायदा पहुंचाने तथा विभिन्न निविदा में बगैर बोर्ड की सहमति के निविदा की शर्तें बदलने का आरोप है.
कई अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने धनबाद नगर निगम में ई-गवर्नेंस कार्यों के लिए कंप्यूटर सामग्रियों और अन्य उपकरणों की आपूर्ति में बरती गई अनियमितता को लेकर तत्कालीन नगर आयुक्त मनोज कुमार, तत्कालीन उप नगर आयुक्त प्रदीप कुमार प्रसाद और अनिल कुमार यादव के खिलाफ अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया है.
इन तीनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने का भी मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है. इसके साथ नगर निगम के तत्कालीन अरबन रिफॉर्म स्पेशलिस्ट मनीष कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है. वहीं कनीय पर्यवेक्षक-सह-भंडारपाल हरिशचंद्र पांडेय एवं लेखापाल अनिल कुमार मंडल को निलंबित कर दिया गया है.
वाणिज्यकर और खान विभाग भी सवालों के घेरे में
खुद सीएमओ के संज्ञान में यह मामला आ चुका है कि खान और वाणिज्य विभाग ने भारी पैमाने पर अनियमितता बरती है. इन विभागों में अनियमितता दूर की जाए तो 15 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी, जिसे कल्याणकारी कामों में खर्च किया जा सकेगा.
मोमेंटम झारखंड के अलावा भ्रष्टाचार के कई मामले भी सरकार के संज्ञान में आ चुके हैं, कई आईएएस और आईएफएस निशाने पर हैं.
बिजली खरीद की का मामला भी
झारखंड राज्य बिजली वितरण निगम ने पूर्व की सरकार के समय आधुनिक पावर से 3.60 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद रही थी. इस पर सवाल उठा था कि जब आधुनिक पावर से 3.60 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है तो इनलैंड पावर से 4.05 रुपये प्रति यूनिट की दर से क्यों खरीदी जा रही है.
इस पर भी वितरण निगम ने चुप्पी साध ली थी. इनलैंड पावर से बिजली खरीद के एग्रीमेंट पर सीएजी ने भी आपत्ति जताई थी, लेकिन इसका जवाब अब तक बिजली कंपनी ने नहीं दिया.