रांची. सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने कहा है कि लॉक डान अवधि में निजी स्कूलों में फीस माफी पर राज्य सरकार फेंका-फेंकी और टालमटोल कर रही है, यह शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के साथ निजी स्कूल के प्राचार्यो व प्रबंधन की हुई बैठक से स्पष्ट हो गया है. शिक्षा मंत्री अब मुख्य सचिव के साथ बैठक कर हल निकालने की बात कह रहे हैं, यह शिक्षा मंत्री की विफलता को ही दर्शाता है और यह भी प्रतीत होता है उन्हें अपने दायित्व बोध का तनिक भी एहसास नहीं है. शिक्षा मंत्री को जब मुख्य सचिव के साथ ही बैठक करके निर्णय लेना था तो निजी स्कूल के प्राचार्यों व प्रबंधन के साथ बैठक कर इस तरह की नौटंकी नहीं करना चाहिए था. शिक्षा मंत्री को यह पता नहीं है कि वह सरकार हैं और संवैधानिक व्यवस्था में मुख्य सचिव से ऊपर हैं. फीस माफी पर अपना निर्णय सुना कर मुख्य सचिव को इसे लागू करने का आदेश दे सकते है. शिक्षा मंत्री की हरकत से यह भी पता चलता है कि उन्हें अपने कद का अहसास नहीं है. निजी स्कूल के प्राचार्यो व प्रबंधन के सामने आरजू मिन्नत और गिड़गिड़ा कर एक तरह से राज्य सरकार की भद्द ही पिटा दी है. अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दरअसल पूर्व में हुई बैठक में फीस माफी को लेकर किसी तरह की चर्चा नहीं हुई. निजी स्कूल प्रबंधन पहले से तय किए अपनी बात कहते रहे और शिक्षा मंत्री मग्न होकर उन सबों की बात सुनते रहे. शिक्षा मंत्री ने निर्णय नहीं सुना कर मुख्य सचिव के साथ बैठक कर बीच का रास्ता निकालने की बात कहकर अपनी टालमटोल वाली मंशा को उजागर कर दिया है. दरअसल इस मामले में शिक्षा मंत्री द्वारा स्पष्ट कुछ कहने के बजाय समय और स्थान देखकर राज्य भर में घूम -घूम कर अलग-अलग बातें कहते रहे हैं. उन्होंने कहा कि फीस निर्धारण कमेटी की बात भी सिर्फ हवाबाजी साबित हुई. मजेदार बात यह है कि शिक्षा मंत्री एवं निजी स्कूल के प्राचार्यो एवं प्रबंधन की बैठक के बाद मीडिया में यह बात सामने आई है कि निजी स्कूल फीस बढ़ाने पर राजी नहीं है. जबकि सच्चाई यह है कि निजी स्कूल द्वारा अभिभावकों पर दबाव डालकर फीस ही नहीं बल्कि बढ़ा हुआ फीस लिया जा रहा है. मगर शिक्षा मंत्री को इसकी जानकारी नहीं है. दरअसल शिक्षा मंत्री ने राज्य भर के अभिभावकों के साथ भद्दा मजाक किया है.