रांची: सहारा इंडिया के कर्मचारियों को अप्रैल माह का वेतन अब तक नहीं मिला है. मई माह भी खत्म हो गया. मार्च महीने का वेतन भी काट लिया गया. जबकि, सारे कर्मचारियों ने लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम में कार्य किया है.
सहारा इंडिया ने केवल कार्यालय के कर्मचारियों को वेतन के नाम पर टोकन मनी दिया है. वहीं सहारा में कार्य कर रहे एजेंटों को दोनों माह का भुगतान बैंक के माध्यम से कर दिया गया है. नाम न बताने के शर्त पर एक कर्मचारी ने बताया कि कर्मचारियों की स्थिति बहुत खराब है, सभी भुखमरी के कगार पर हैं.
कर्मचारी का कहना है कि सहारा इंडिया अपने कार्यालय के कर्मचारियों को इतना दबाव में रखता है कि कोई भी इसका विरोध नहीं कर सकता. कर्मचारियों का दावा है कि सहारा इंडिया की शाखाओं की जांच की जाए तो कई अनियमितताएं सामने आयेंगी.
यह भी पता चल जायेगा कि यहां किस प्रकार से कर्मचारियों का शोषण होता है. पिछले 21 मई से कार्यालय बुलाकर हमलोगों से सेवा ली जा रही है. लॉकडाउन होने की वजह से कर्मचारियों को निजी वाहन से कार्यालय आने-जाने में काफी दिक्कतें भी आ रही हैं. कर्मचारियों से सुबह 9 बजे से देर रात तक काम ली जा रही है. चाहें तो हर ब्रांच का सीसीटीवी फुटेज देख लिया जाए तो सब उजागर हो जाएगा.
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केंद्र सरकार और राज्य सरकार के लॉकडाउन के नियमों को ताख पर रख कर कार्य कराया जा रहा है. आगे कर्मचारी ने कहा कि भारत सरकार ने इस महामारी में किसी कर्मचारी के भुगतान नहीं रोकने के लिए कंपनियों को निर्देशित किया था.
कर्मचारी का कहना है कि सहारा इंडिया के उप निदेशक नीरज कुमार पाल रांची में ही रहते है और घर बैठे जूम ऐप के माध्यम से बिहार-झारखंड का मीटिंग लेते हैं.
इस संबंध में उप निदेशक नीरज कुमार पाल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, दो बार फोन भी किया गया लेकिन, उन्होंंने फोन रिसीव नहीं किया.