भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अपने भारी भरकम कम रॉकेट जीएसएलवी मार्क-।।। का रिहर्सल पूरा कर लिया है। ‘बाहुबली’ के नाम से चर्चित यह रॉकेट सामान्य तरीके से काम कर रहा है। जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट से चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को दोपहर 2:43 बजे लॉन्च किया जाएगा। पहले इसे 15 जुलाई को चंद्रयान-2 को लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण लॉन्चिंग की उलटी गिनती को रोक दिया गया था।
गौरतलब है कि इस रॉकेट में 3.8 टन के चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को रखा गया है। अपनी उड़ान के लगभग 16 मिनट बाद 375 करोड़ रुपये का जीएसएलवी-मार्क 3 रॉकेट 603 करोड़ रुपये के चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पार्किंग में 170 किलोमीटर गुणा 40400 किलोमीटर की कक्षा में रखेगा। धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। वहां से चंद्रमा के लिए लंबी यात्रा शुरू होगी। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे। जीएसएलवी मार्क-।।। को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (जीटीओ) में 4 टन श्रेणी के उपग्रहों को ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। वीइकल में दो ठोस स्ट्रेप ऑन मोटर हैं। इसमें एक कोर तरल बूस्टर है और ऊपर वाले चरण में क्रायोजेनिक है। अब तक इसरो ने 3 जीएसएलवी-एमके 3 रॉकेट भेजे हैं। एक बार जब जीएसएलवी जियो ट्रांसफर ऑर्बिट में पहुंच जाएगा, तब यह चंद्रयान को 170 किलोमीटर गुणा 20,000 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित करेगा। इसके बाद चंद्रयान चंद्रमा की कक्षा की ओर बढ़ेगा।
इसरो के लिए प्रक्षेपणों में तकनीकी समस्याएं आना कोई नई बात नहीं है। इसरो ने इनसे उबर कर जीएसएलवी के विभिन्न संस्करणों का प्रयोग कर कई उपग्रह प्रक्षेपित किए हैं। जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट का प्रयोग करते हुए चंद्रमा के लिए भारत के दूसरे मिशन ‘चंद्रयान-2’ का तकनीकी खराबी के चलते प्रक्षेपण टाले जाने से इस भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को शुरुआती झटका जरूर लगा, लेकिन वैज्ञानिकों ने हिम्मत नहीं हारी।
इसरो के मुताबिक छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए इस्तेमाल होने वाला जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट का अप्रैल 2001 से 13 बार इस्तेमाल किया गया है। इनमें से 3 जीसैट-5पी, जीसैट-4 और इनसैट-4सी विफल प्रक्षेपण रहे जबकि संचार उपग्रह जीसैट-7ए, जीसैट-6ए और जीसैट-9 के अलावा इनसैट-3डी, जीसैट-6, इनसैट-4सीआर और एडुसैट, जीसैट-2, जीसैट-3, जीसैट-19 का प्रक्षेपण सफल रहा है। 4 टन तक का भार (पेलोड) ले जाने की अपनी क्षमता के कारण ‘बाहुबली’ कहे जा रहे जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट ने जीसैट-29 और जीसैट-19 उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण किया है। अंतरिक्ष एजेंसी ने इसी रॉकेट का इस्तेमाल करते हुए क्रू मॉड्यूल वायुमंडलीय पुन: प्रवेश परीक्षण (केयर) को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। इसरो के प्रमुख के. सिवन के मुताबिक अंतरिक्ष एजेंसी दिसंबर 2021 के लिए निर्धारित अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए भी जीएसएलवी मार्क-।।। रॉकेट का प्रयोग करेगी।