के के अवस्थी “बेढंगा”,
अभी हाल ही में कोरोना महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में ऋण के बोझ से उबरने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने Consolidated Sinking Fund ( समेकित ऋण शोधन निधि ) से राज्य सरकारों के लिए निकासी की सीमा में 13,300 रूपये की और वृद्धि की है. इससे अब राज्य सरकारें अपनी ऋण अदायगी के लिए ऋण का 45 प्रातिशत तक का भुगतान कर सकेंगी . इससे वर्तमान में कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था में राज्य सरकारों पर ऋण का अत्यधिक बोझ नहीं पड़ेगा .
क्या है Consolidated Sinking Fund ?
यह एक तरह की निधि ही है, जिसमे एक निश्चित धनराशी जमा की जाती है , जो भविष्य में सरकारों (केंद्र व राज्य ) द्वारा लिए गये ऋण के भुगतान हेतु प्रयोग में लायी जाती है . परन्तु ध्यान देने वाली बात यह है कि यह निधि Consolidated Fund of State व Public Fund से बिलकुल अलग होती है . इसका संधारण सीधे रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा किया जाता है . 12 वें वित्त आयोग ने अपनी संतुति में कहा था की इस निधि का प्रयोग सिर्फ राज्य सरकारों के कर्ज चुकाने के लिए किया जाना चाहिए, अन्य किसी उद्देश्य के लिये नहीं. राज्य सरकारे अपने ऋण का एक से तीन प्रतिशत तक इस निधि में हर साल जमा करवाती है ताकि उन पर ऋण अदायगी के समय अधिक बोझ ना पड़े .
ध्यातव्य ये है कि अभी भी देश के सभी राज्य इसका उपयोग नहीं करते है . इसको अपनाना या ना अपनाना पूर्णतया राज्यों की स्वीकृति पर निर्भर है .
उदा०– अगर कोई राज्य सरकार 200 करोड़ का कर्ज 10 वर्ष के लिए 2010 में लेती है तो 2020 में उसे उस ऋण को पूर्ण अदा करना पड़ेगा . राज्य सरकार के लिए 2020 में पूरा ऋण एकसाथ अदा करने का अधिक बोझ ना पड़े इसलिए यदि वे इस ऋण का 3% वार्षिक यानि कि 6 करोड़ रूपये वार्षिक जमा करती है इस निधि में जो 2020 में यह धन 60 करोड़ हो जाएगा . और अब राज्य सरकार को सिर्फ 140 करोड़ ही उस वर्ष के राजस्व से निकालने पड़ेंगे जिससे राज्य पर अधिक बोझ नहीं पड़ेगा .
ऐतिहासिक अवलोकन
Sinking Fund का सर्वप्रथम परयोग ग्रेट ब्रिटेन ने 18वीं शताब्दी में National Debt कम करने के लिए किया था . इसके बाद कई बार इसका प्रयोग ब्रिटेन में हुआ . भारत में Consolidated Sinking Fund 1999-2000 में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा राज्यों के लोन को कम करने के लिए स्थापित किया गया था . प्रारम्भ में केवल 11 राज्यों(आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, महाराष्ट्र, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, उत्तरांचल व पश्चिम बंगाल ) ने ही इसे अपनाया था . बाद में 12 वें वित्त आयोग (2005-2010) ने इसकी सभी राज्यों के लिए संतुति प्रस्तुत की .अब तक कुल 23 राज्यों ने इसे अपनाया है जो Consolidated Sinking Fund में पैसा जमा करती है जिसमे से महाराष्ट्र का सर्वाधिक योगदान है . यह निधि 31 मार्च 2020 तक के आंकड़े के अनुसार लगभग 1,30,431 करोड़ रूपये हो गयी है .
चर्चा में क्यों है ?
देश में करोना महामारी के संकट के कारण केंद्र व राज्य सरकारों की अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है. कई राज्यों का राजस्व लगभग रुक गया है . राज्यों को अपनी अर्थव्यवस्था के पहिये को सुचारू रूप से चलाने के लिए वर्तमान में कई वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड रहा है . जहाँ एक ओर राज्य सरकारों पर ऋण का बोझ निरंतर बाद रहा है वहीँ पूर्व में लिए गये ऋण जिनकी अदायगी वर्तमान में होनी है सरकार के लिए एक गंभीर विषय बन गये है . इन सब को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को ऋण अदायगी में अधिक परेशानी ना हो इसलिए रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अब तक के (31 मार्च 2020 तक ) Consolidated Sinking Fund में जमा लगभग 1.3 लाख करोड़ रूपये में से 13 हजार तीन सौ रुपये अपनी जमा की गयी निधि की प्रतिशतता के अनुसार निकालने की छूट दे दी है . इस छूट से राज्य सरकारे अपने द्वारा जमा धन का 45 प्रतिशत तक का धन ऋण अदायगी के लिए निकाल सकती है . अब तक जमा कुल निधि 1.3 लाख करोड़ रूपये में सर्वाधिक 39,948 करोड़ रूपये केवल महाराष्ट्र के है . अतएव महाराष्ट्र को ही इसका सर्वाधिक लाभ होगा .
राज्य सरकारे जो धन ऋण या बांड के रूप में उधार लेती है उसको इसी निधि के द्वारा अदा किया जाता है. किसी राज्य की ऋण प्राप्ति की विश्वसनीयता काफी हद तक उसके Consolidated Sinking Fund में हिस्सेदारी के आकार पर निर्भर करती है. यह निधि राज्य सरकारों को ऋण के डिफाल्टरों से बचाती है और ऋण अदायगी के समय राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले बोझ को हल्का करती है