नीता शेखर,
हर घड़ी बदल रही है रुप जिंदगी, धूप है कहीं, कहीं है छांव जिंदगी…यही जिंदगी की हकीकत है
कहते हैं कि खुशियों की उम्र बहुत छोटी होती है… आज प्रणय का प्रमोशन हुआ था सभी बहुत खुश थे. आज वह लेबर कमिश्नर बन गया था. शाम को उसने, प्रमोशन की खुशी में पार्टी रखी थी. तैयारी जोर-शोर से चल रही थी. सभी अपने-अपने कामों में व्यस्त थे. हलवाई भी खाने की तैयारी कर रहे थे इसी बीच प्रणय की बहन परिणीति अपने बेटे और बेटी को साथ लेकर आ गई थी. प्रणय ने काफी विनती की थी जल्दी आने के लिए परिणति का ससुराल लोकल ही था , वह अपने दोनों बच्चों के साथ आ गई थी परिणीति की बेटी मात्र 2 साल की थी खेलते खेलते कब वह हलवाई के पास पहुंच गई,पता ही नहीं चला.
अचानक से चिल्लाने की आवाज आई तो सब उधर दौड़ पड़े वहां का सीन देखकर दिल दहल उठा कढ़ाई में गर्म तेल रखा हुआ था वह उसमें ही गिर गई थी बुरी तरह से जल गई थी.
उसे तुरंत अस्पताल ले कर पहुंचे जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया.
पार्टी की जगह अब मातम ने ले लिया था. परिणीति का रो-रो कर बुरा हाल था शाम होने लगी थी लोग आने लगे थे वहां का माहौल देखकर सब चुप चाप वापस जा रहे थें,
प्रणय को तो बिल्कुल काठ मार चुका था, उसे बार-बार यही लग रहा था कि मेरी वजह से परिणति की बेटी विदा हो गई थीं .
घर में प्रणय को तो ऐसा झटका लगा था ना तो किसी से बोलता था ना तो किसी से मिलता था, उसने अपने आप को कमरे में कैद कर लिया था. उसको बार-बार यही लगता मैं गुनहगार हूं, काम पर भी नहीं जाता था अब ऑफिस जाना छोड़ दिया था, ऑफिस आते ही उसे परिनीति की बेटी की याद आ जाती धीरे-धीरे वक्त गुजरता जा रहा था पर प्रणय की मन की गांठें नहीं खुल पा रही थी जिससे वह बीमार होता जा रहा था. मानसिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही थी डॉक्टर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे. देखते देखते 1 साल गुजर गया उसकी स्थिति वैसे ही बनी हुई थी.
जिस घर में पहले खुशियां रहा करती थी आज वहां हर समय मातम छाया रहता है. ऐसा लगता मानो किसी ने उनकी खुशियां चुरा ली हो. अब तो प्रणय बिल्कुल बिस्तर पर आ गया था उसके लिए उठना भी मुश्किल हो रहा था अब तो प्रणति भी सामान्य हो चली थी. उसने भी प्रणय को समझाने की बहुत कोशिश की पर उसे कोई फर्क नहीं पड़ा. देखते देखते 2 साल गुजर गए.
इसी बीच पता चला कि परिणीति अस्पताल में है उसने आज ही लड़की को जन्म दिया है सभी ने जल्दी से खुशखबरी प्रणय को दी, देखो उसकी बेटी वापस आ गई अब तुम भी ठीक हो जाओ. प्रणय के चेहरे पर हल्की सी हंसी आई और फिर सदा के लिए वह सो गया! उसने अपनी आहुति देकर परिणीति की खुशियां लौटा दी थी इसलिए कहते हैं ,
“जिंदगी खूबसूरत आस है, ग़मों के साए में ना डुबाया करो।
ना जाने जिंदगी की शाम में कब अंधेरा छा जाए उसके पहले हर पल मुस्कुराया करो।। ”