जम्मू : चीन के साथ बढ़ते तनाव और बीस सैनिकों की शहादत के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से सटे 21 गांवों में ब्लैकआउट कर दिया गया है. ज्यादातर गांवों में पिछले एक माह से इमरजेंसी जैसे हालात हैं, लेकिन श्योक और गलवां नदी के संगम स्थल के पास सोमवार रात की घटना के बाद से पूरे इलाके में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है.
सीमावर्ती इलाकों में दिन-रात गश्त तेज कर दी गई है. ये गांव चुशुल, पैंगोंग झील से लेकर गलवां, श्योक से दौलत बेग ओल्डी तक पड़ते हैं. लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के चुशुल निर्वाचन क्षेत्र में आठ गांव हैं जबकि तंगसे क्षेत्र में 13 छोटे गांवाें की तकरीबन चार हजार आबादी एलएसी के बिल्कुल नजदीक बसी हुई है.
तंगसे के पार्षद ताशी नामग्याल के अनुसार उनके निर्वाचन क्षेत्र की ढाई हजार से ज्यादा आबादी एलएसी के बिल्कुल नजदीक है. एलएसी के हालात का सीधा असर इन पर सबसे पहले पड़ता है. इन इलाकों में पूरी तरह से ब्लैकआउट है.
उधर, लेह के अन्य प्रतिनिधि भी एलएसी से सटे गांवाें में हालात को लेकर चिंतित हैं. वहां पर किसी से संपर्क नहीं हो पा रहा है. एक प्रतिनिधि ने कहा कि अग्रिम इलाकों के नाजुक हालात में स्थानीय लोगों को कुछ मुश्किलें जरूर हैं लेकिन वे हर हाल में सेना और देश के साथ खड़े हैं.
एलएसी पर जमीन कब्जाने को लेकर चीन की चाल को सबसे पहले स्थानीय ग्रामीण ही भांपते रहे हैं. सर्दी के मौसम में अग्रिम इलाकों में कोई आवाजाही नहीं रहती. इन 21 गांवों के लोग अपनी भेड़, बकरियों और याक को चराने के लिए चरागाहों में लेकर जाते हैं.
इसी दौरान चीन की हरकतों का पता चलता रहा है. हाल के वर्षों में संवेदनशील इलाकों में ग्रामीणों की आवाजाही रोकी गई है. स्थानीय लोग अपने पंचायत प्रतिनिधियों और पार्षदों के माध्यम से चरागाहों पर चीन के कब्जे को लेकर कई बार आवाज उठा चुके हैं.