नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में जेल में बंद जामिया यूनिवर्सिटी की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. जस्टिस राजीव शकधर की बेंच ने दिल्ली पुलिस को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
सफूरा जरगर ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट की ओर से पिछले 4 जून को सफूरा जरगर की जमानत याचिका खारिज कर दिया था. पटियाला हाउस कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सफूरा जरगर ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
सुनवाई के दौरान सफूरा जरगर की ओर से कहा गया कि वो 21 हफ्ते की गर्भवती है और वो पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम से पीड़ित है. उसे इस बीमारी से अपने गर्भ के मिसकैरिज होने का खतरा है.
पिछले 30 मई को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जरगर की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा था कि उसने भड़काऊ भाषण दिया था.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल से पूछा था कि दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों और यूएपीए में क्या संबंध है. तब स्पेशल सेल ने कहा था कि सफूरा जरगर ने दंगा फैलाने के मकसद से भड़काऊ भाषण दिया था. इसके लिए पहले से तैयारी की गई थी. इसीलिए सफूरा जरगर को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया है.
सफूरा जरगर ने दिल्ली के कई हिस्सों में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. सफूरा जरगर ने जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के बाद रोड जाम कराने में अहम भूमिका निभाई थी.
कोर्ट ने पिछले 26 मई को सफूरा जरगर की न्यायिक हिरासत 25 जून तक बढ़ा दी थी. सफूरा जरगर को दिल्ली पुलिस ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था. जरगर के खिलाफ उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद इलाके प्रदर्शनकारियों को उकसाने का आरोप है.
पुलिस के मुताबिक 22 फरवरी की रात नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ महिलाएं जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बैठ गई थीं. सफूरा जरगर पर आरोप है कि उसी दौरान सफूरा भीड़ को लेकर वहां पहुंची और हिंसा की साजिश रची.
इसके बाद उत्तर-पूर्वी जिले में कई दिनों तक हिंसा होती रही जिसमें कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और दौ सो ज्यादा लोग घायल हो गए थे . सफूरा जरगर जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी थी.