BNN DESK: नेपोटिस्म, हाल ही में सुशांत की आत्महत्या की खबर जब से सामने आई है, तब से उनके प्रशंसकों में आक्रोश भरा हुआ है. सुशांत के लिए न्याय की मांग ने एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया है. मामले में सबसे अधिक करण जौहर और सलमान खान लोगों के निशाने पर हैं.
हाल के वर्षो में करण जौहर, सलमान खान, यशराज फिल्मस, संजय लीला भंसाली ने कई स्टार किड को लॉन्च किया
संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म सांवरिया से दो स्टार किड रणबीर कपूर और सोनम कपूर को लॉन्च किया
सलमान खान ने अपने जीजा आयुष शर्मा, महेश मांजरेकर की पुत्री साई मांजेरकर, मोहनीश बहल की पुत्री प्रनूतन बहल, आदित्य पांचोली के पुत्र सूरज पांचोली, सुनील शेट्टी की बेटी अथिया शेट्टी जैसे कई स्टार को लॉन्च किया.
यशराज ने बोनी कपूर के पुत्र अर्जुन कपूर, प्रियंका चोपड़ा की चचेरी बहन परिणीति चोपड़ा, अनिल कपूर के रिश्तेदार रणवीर सिंह जैसे कलाकारों को लॉन्च किया.
करण जौहर ने आलिया भट्ट, वरुण धवन, अनन्या पांडे, ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर जैसे एक्टर को लॉन्च किया.
नेपोटिस्म है क्या ?
भाई-भतीजावाद दोस्तवाद के बाद आने वाली एक राजनीतिक शब्दावली है जिसमें योग्यता को नजर अन्दाज करके अयोग्य परिजनों को उच्च पदों पर आसीन कर दिया जाता है. नेपोटिस्म शब्द की उत्पत्ति कैथोलिक पोप और बिशप द्वारा अपने परिजनों को उच्च पदों पर आसीन कर देने से हुई. बाद में इस धारणा को राजनीति, मनोरंजन, व्यवसाय और धर्म सम्बन्धी क्षेत्रों में भी बल मिलने लगा.
खासकर भारत के फिल्म इंडस्ट्री, राजनीति, मनोरंजन, व्यवसाय और धर्म क्षेत्रों में आपको यह सबसे ज्यादा दिखेगा जो की नए भारत की डेवलपमेंट का सबसे बड़ा दुश्मन है.
कपूर खानदान में चौथी पीढ़ी तक नेपोटिस्म का सिलसिला चला
कपूर खानदान में पृथ्वी राजकपूर से शुरू नेपोटिस्म का यह सिलसिला चौथी पीढ़ी तक चलता आया है. इसी तरह महेश भट्ट, फिरोज खान, राकेश रौशन, बोनी कपूर, सलमान खान, फरहान अख्तर, करण जौहर और आदित्य चोपड़ा जैसे लोगों के खानदान के दो-तीन पीढ़ियों से लोग इंडस्ट्री में काम करते आ रहे हैं.
किसी भी फील्ड में जुगाड़ की गाड़ी चलाने के लिए ज्यादातार लोग एक ‘गॉडफादर’ का होना जरूरी समझते हैं. बॉलीवुड में ही नहीं किसी भी फील्ड में भाई-भतीजावाद अघोषित रूप से चलता है. इन एक्टर्स के पापा, दादा यदि फिल्मों से ताल्लुक रखते रहे हों तो इन्हें अपनी लाइन क्लियर दिखती है. इनके लिए रास्ता आसान हो जाता है.
फिल्म इंडस्ट्रीं में अभिनेता के पुत्र या पुत्री को लॉन्च करने का है ट्रेंड
फिल्म इंडस्ट्रीं में अक्सर देखने को मिलता है कि फिल्मकार किसी बेहतरीन अभिनेता के पुत्र या पुत्री को लॉन्च करते रहते हैं, भले ही उन्हें अभिनय के बारे में जानकारी हो ना हो, भले ही उनका चेहरा भाव विहीन हो, फिल्मकार को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. इससे उसे बस उस अभिनेता की लोकप्रियता को भुनाना है और पैसा कमाना है. मौजूदा समय में अधिकांश अभिनेता फिल्म जगत से जु़ड़े परिवारों से ही हैं.
श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी कपूर,
डेविड धवन के पुत्र वरुण धवन,
सैफ अली खान-अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान,
जैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ,
अनिल कपूर के बेटे हर्षवर्धन कपूर ,
चंकी पांडे की बेटी अनन्या पांडे,
शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर,
सन्नी देओल के पुत्र करण देओल.
अस्सी के दशक के बाद फिल्में अब यथार्थ से ज्यादा कल्पना लोक की कहानियों पर बनने लगी
अस्सी के दशक के बाद फिल्में यथार्थ से ज्यादा कल्पना लोक की कहानियों पर बनने लगी. इसी दौर में पंजाबी कलाकारों, परिवारों, निर्माता एवं निर्देशकों का प्रभुत्व भी बढ़ा. नाच, गाना, आइटम सांग, देश-विदेश के खूबसूरत लोकेशन फिल्मों में मुख्य हो गये.
जौहर परिवार, कपूर परिवार, चोपड़ा परिवार और खान परिवार का दबदबा बढ़ा. बॉलीवुड के पहले शो मैन राज कपूर का परिवार सबसे मजबूत माना जाता हैं. इनकी पूरी फैमिली फिल्मों का ही काम करती है जिसमें फिल्म निर्माण, डायरेक्शन, एक्टिंग और अन्य काम शामिल है.
कई अभिनेताओं ने भाई-भतीजावाद को लेकर अपनी राय रखी है
कंगना रनौत, कोएना मित्रा, अभिनव कश्यप ,गीता फोगाट ,पायल रोहतगी ,रवीना टंडन, शेखर कपूर, और साहिल खान समेत कई हस्तियों ने इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद को लेकर अपनी राय रखी है.
फिल्म इंडस्ट्री के ही कई लोग आरोप लगा रहे हैं कि बॉलीवुड में बाहरी कहकर सुशांत को इग्नोर किया जाता था. यह भी आरोप हैं कि सुशांत को विभिन्न समारोहों, शादियों एवं पार्टियों में नहीं बुलाया जाता था.
‘छिछोरे’ हिट होने के बाद सुशांत सिंह राजपूत ने सात फिल्में साइन की थी, लेकिन छह महीने में उसके हाथ से सारी फिल्में निकल गई. सुशांत की आत्महत्या के बाद जिन लोगों पर परिवारवाद का आरोप लग रहा है वो बड़े नाम हैं. करण जौहर, आदित्य चोपड़ा, साजिद नाडियादवाला, संजय लीला भंसाली, दिनेश विजयन, टी सीरीज के भूषण कुमार, एकता कपूर और सलमान खान पर सुपरस्टार सुशांत को प्रताड़ित करने के आरोप लगाया है.
कहा जा रहा है कि सुशांत ने यह आत्महत्या इन्हीं लोगों से तंग आकर की. यह भी कहा जा रहा है बड़े बैनर ने सुशांत को अपनी फिल्मों में लेने से मना कर दिया और देखते-देखते सात फिल्मों से उन्हें निकाल दिया गया, क्योंकि इन प्रोडक्शन हाउस की टीम ने मिल कर एक टैलेंटेड युवा सुशांत का बहिष्कार किया.
छिछोरे जैसी सुपरहिट फिल्म के बाद भी उनके पास कोई फिल्म नहीं थी जिस सच को सुशांत अपना नहीं पा रहे थे.
बॉलीवुड में नेपोटिज्म के आरोप नए नहीं, राजकपूर के दौर से जारी है आरोप-प्रत्यारोप
बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में भाई-भतीजावाद (नेपोटिज्म) कोई नई बात नहीं है, जब से फिल्में बननी शुरू हुई तब से इंडस्ट्री में भी भाई-भतीजावाद ने धीरे-धीरे जड़े जमानी शुरू की और आज इसकी जड़ें गहरी होकर वटवृक्षों का रूप ले लिया है.
सोशल मीडिया पर उस बहस ने जन्म ले ही लिया जिसकी जड़ता पूरी फिल्म इंडस्ट्री को जकड़ती जा रही है. वह जड़ता है भाई भतीजावाद या फिर कहें तो परिवारवाद.
सोशल मीडिया पर छिड़ी है जंग
फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म युवाओं ने नेपोटिज्म के खिलाफ जंग छेड़ रखी है. युवाओं ने सुशांत की मौत की सीबीआई से जांच की मांग की है. सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से इंडस्ट्री के अंदर और बाहर हर ओर से भाई-भतीजावाद, बाहरी और फिल्म इंडस्ट्री का, फिल्म इंडस्ट्री के बड़े परिवार या किसी गॉडफादर से जुड़ा होने और बिना गॉडफादर के संघर्ष करने वाली लॉबी में बंटे होने जैसे सवाल उठाए जा रहे हैं.
यूजर्स करण जौहर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं
ज्यादातर यूजर्स बॉलीवुड में मौजूद भाई-भतीजावाद के लिए करण जौहर को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. करण ने इस मामले पर फिलहाल चुप्पी साध रखी है हालांकि उन्होंने अपने ट्विटर से स्टार किड्स और बाकी स्टार को अनफॉलो कर दिया हैं. उन्होंने ट्विटर पर हजारों लोगों को अनफॉलो कर लिया है.
सत्तर के दशक की फिल्मों में मध्यम वर्ग, निम्नवर्ग की परेशानियां तो कहीं उच्च वर्ग के द्वारा शोषण दिखाई पड़ते थे
वर्ष 1913 में फिल्म राजा हरिश्चंद्र के साथ भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की शुरुआत हुई. उस समय यह एक कलात्मक शुरुआत थी. करीब 50 सालों इसका कलात्मक पक्ष इसके व्यावसायिक पक्ष पर हावी रहा.
फिल्मकारों ने जो फिल्में बनायी उनमें यथार्थ को पेश किया. सत्तर के दशक तक की फिल्मों में कहीं मध्यम वर्ग की समस्याएं, कहीं निम्नवर्ग की परेशानियां तो कहीं उच्च वर्ग के द्वारा शोषण के खिलाफ खड़े मजदूर दिखाई पड़ते थे. पहले के समय में जितने भी सुपरस्टार बनें सभी छोटे जगह और गांव से आकर एक मुकाम हासिल किया. लेकिन अब तकनीक और समय के साथ इंडस्ट्री भी बदल चुकी है.
सोनम कपूर ने माना, ‘पिता के कारण हैं फिल्म इंडस्ट्री में’
फिल्म एक्ट्रेस सोनम कपूर को फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से लगातार निशाना बनाया जा रहा है. ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर उन्हें बड़े पैमाने पर ट्रोल किया जा रहा है कि वह ‘भाई-भतीजावाद’ के कारण फिल्म इंडस्ट्री का भाग है.
सुशांत सिंह राजपूत की दुर्भाग्यपूर्ण मौत ने बॉलीवुड के ‘भाई-भतीजावाद’ पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है. जहां नेटिज़न्स सेलिब्रिटी बच्चों को टारगेट कर रहे रहे हैं. सोनम कपूर को लगातार निशाना बनाया जा रहा है और ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर उन्हें घृणा का सामना करना पड़ रहा है.
फिल्म इंडस्ट्री सिर्फ कुछ परिवारों का उद्योग बनता जा रहा है. ऐसे में सुशांत सिंह राजपूत जैसे अभिनेताओं को यदि एक साथ कई फिल्मों से साइन करने के बाद भी निकाल दिया जाता है तो उनमें निराशा आना स्वाभाविक है.