देशमुख ने कहा ”जब तक पतंजलि की एंटी-कोरोना दवा को आयुष मंत्रालय से परमिशन नहीं मिलती, तब तक बाबा रामदेव दवा का विज्ञापन या गलत विज्ञापन नहीं कर सकते. अगर उन्होंने (बाबा रामदेव) इस प्रकार की गलत विज्ञापन की तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. महाराष्ट्र के गृह मंत्री ने कहा ”नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, जयपुर यह पता लगाएगा कि क्या पतंजलि की ‘कोरोनिल’ का क्लीनिकल ट्रायल किया गया था. हम बाबा रामदेव को चेतावनी देते हैं कि हमारी सरकार महाराष्ट्र में नकली दवाओं की बिक्री की इजाजत नहीं देगी.”
इससे पहले पतंजलि के कोरोना की दवा बनाने के दावे पर केंद्रीय आयुष मंत्रालय के रिपोर्ट मांगने के बाद उत्तराखंड सरकार के आयुर्वेद विभाग ने पतंजलि के दावों को गलत बताते हुए नोटिस जारी किया. लाइसेंस ऑफिसर उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग वाई.एस. रावत ने कहा ”नोटिस में पूछा गया-पतंजलि को कोरोना किट न्यूज चैनलों पर दिखाने की परमिशन कहां से मिली. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के नियम 170 के तहत उत्पाद का विज्ञापन करने के लिए लाइसेंस अथॉरिटी से परमिशन लेनी होती है. DMRI 1954 के अंतर्गत इस तरह के क्लेम करना वैधानिक नहीं है.”
अधिकारी ने कहा ”पतंजलि को कोरोना की दवा बनाने का कोई लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. 10जून को पतंजलि ने 3 प्रोडक्ट्स इम्युनिटी बूस्टर,खांसी और बुखार के प्रोडक्ट के लिए आवेदन दिया था. 12 जून को अप्रूवल दिया गया पर उसमें कहीं भी कोरोना इलाज की दवा का जिक्र नहीं था”.