पाकिस्तान पर अब तक बेहद सख्ती दिखाने वालेके तेवर पाक पीएम से मुलाकात के बाद बदले नजर आ रहे हैं। ट्रंवाइट हाउस में इमरान खान से 30 मिनट की मुलाकात के बाद ट्रंप ने अचानक ही पाकिस्तान को लेकर हैरान करने वाले बयान दिए। ऐसा लग रहा है पाकिस्तान की मदद से ट्रंप अफगानिस्तान से निकलना चाहते हैं। ऐसा लगता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को डील करना बहुत पसंद है। शायद वह खुद को ‘डील करने की कला’ का पारंगत भी समझते हैं। एक बार फिर वॉशिंगटन के कुछ गर्म मौसम में पाकिस्तान के साथ ऐसे ही सियासी समझौते की दिशा में अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक कदम बढ़ाया है। कश्मीर मध्यस्थता के बहाने ट्रंप ने अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी के लिए मजबूत करार के संकेत दिए हैं।
पिछले 2 दशक से अमेरिका पाक प्रायोजित आतंकियों की शरणस्थली बने अफगानिस्तान से आतंकी समूहों को खत्म करने की कोशिश कर रहा है। अफगानिस्तान में आतंकियों की पनाह का सबसे बड़ा नतीजा खुद अमेरिका ने 9/11 के हमले के तौर पर झेला है। सोमवार को काबुल पर पाकिस्तान को प्राथमिकता देते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘अफगानिस्तान से हमें बाहर निकालने में पाकिस्तान हमारी मदद करने जा रहा है।’
इस प्रक्रिया में कहीं न कहीं ट्रंप ने काबुल और नई दिल्ली को भी पीछे छोड़ दिया। अमेरिका खुद पाकिस्तान पर अपने क्षेत्र में राज्य समर्थित आतंकवाद को बढ़ावा देने और आतंकियों पर कार्रवाई में दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि, ईरान को अपना सबसे बड़ा दुश्मन करार देने वाले ट्रंप ने पाकिस्तान के लिए कहा, ‘ईरान की तरह पाकिस्तान झूठ नहीं बोलता।’ इससे पहले कई बार ट्विटर पर ट्रंप ने पाकिस्तान के खिलाफ बहुत सख्त बयान दिए हैं। आतंक पर ठोस कार्रवाई नहीं करने के आधार पर ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को दी जानेवाली आर्थिक सहायता भी रोकी।
पाकिस्तान के खिलाफ अपने सख्त स्टैंड से अलग वाइट हाउस के ओवल ऑफिस में हुई मुलाकात के बाद अचानक ही ट्रंप के रवैये में बदलाव देखा गया। पाकिस्तान को लेकर ट्रंप ने अपनी नीतियों और सोच में बदलाव के संकेत दिए। ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान ने ऐसा किया (ट्रंप से पूर्व के कार्यकाल में) क्योंकि वह उनके पूर्ववर्तियों का सम्मान नहीं करता था और इसके लिए वह इस्लामाबाग पर आरोप नहीं लगा सकते।
वैश्विक जगत में यह आम राय है कि तालिबान के साथ पाकिस्तान के समानांतर रिश्ते हैं और आतंक को बढ़ावा देने में पाक की बड़ी भूमिका है। ट्रंप की नजर में क्षेत्र में अशांति और आतंकवाद के लिए पाकिस्तान की तालिबान के साथ प्रॉक्सी रिश्ते जिम्मेदार नहीं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति की नजर में पाक से ज्यादा बड़ा खतरा अब अफगानिस्तान है जिससे निपटना उनकी प्राथमिकता है।
अफगानिस्तान लंबे समय से अपने आंतरिक मामलों में दूसरे राष्ट्रों का प्रभाव झेल रहा है और इसका असर इस छोटे से देश पर बहुत गंभीर तौर पर पड़ा है। हालांकि, अफगानिस्तान को लेकर अपनी नीति स्पष्ट करते हुए डॉनल्ड ट्रंप ने कहा, ‘मेरे अफगानिस्तान को लेकर कुछ योजनाएं हैं। अगर मैं सिर्फ युद्ध जीतना चाहता तो यह बहुत आसानी से कर सकता था। युद्ध के बाद अफगानिस्तान का इस पृथ्वी पर कोई निशान तक नहीं बचता। सब कुछ खत्म होने में सिर्फ 10 दिन लगेंगे।’ ट्रंप का यह बयान बेहद हैरान करनेवाला है। इतना ही नहीं पाकिस्तान के खिलाफ बेहद सख्ती बरतने वाले ट्रंप ने पाक की नीतियों के लिए अपने ही देश की पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार बता दिया।