रांची: संथाल हूल के महानायक व स्वतंत्रा सेनानी सिदो-कान्हू के नेतृत्व ने झारखंड एवं झारखंडियों को जो पहचान दिलाई है इसको इतिहास में कभी भूलाया नहीं जा सकता. अंग्रेज भी सिदो-कान्हू के नेतृत्व और वहां हुए शहादत को विश्व में अदुत्य मानते हैं.
एसपीटी एक्ट इनके शहादत का ही परिणाम है. झारखंड बनने के पश्चात संथाल हूल के महानायक की प्रतिमा आसमाजिक तत्वों ने तोड़ दी थी. अब तो उनके वंशजों को ही समाप्त करने की योजना हो रही है. इसको लेकर उनके वंशज दहशत में हैं और आंदोलन की राह अपना रहें हैं.
सिदो कान्हू के वंशज रामेश्वर मुर्मू का शव 12 जून को लावारिस हालत में मिला था. लाश मिलने के बाद उनके परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है. मृतक की पत्नी कपरो किस्कू ने बरहेट थाने में आवेदन देकर बताया कि मेरे पति की हत्या भोगनाडीह निवासी सद्दाम अंसारी ने की है.
एफआईआर में यह भी कहा गया कि सद्दाम अंसारी द्वारा एक आदिवासी युवती पर भद्दी टोन कसने पर रामेश्वर मुर्मू ने इसका विरोध किया था. जिस कारण दोनों में हाथापाई हुई और सद्दाम अंसारी ने जान से मारने की धमकी दी और उसी रात रामेश्वर मुर्मू का संदिग्ध मौत हो गयी.
आजसू पार्टी के मुख्य केंद्रीय प्रवक्ता डॉ देवशरण भगत ने कहा कि यह घटना अति संवेदनशील है. सरकार संथाल हूल के महानायक के वंशजों की बात को गंभीरता से ले और इस घटना की सीबीआई से निष्पक्ष जांच कराए.