- कलेक्टर एवं डी.एफ.ओ. सुन लें, कोई पात्र आदिवासी न रहे पट्टे से वंचित
- बड़ी संख्या में आदिवासियों के वनाधिकार पट्टों को अमान्य करने पर मुख्यमंत्री चौहान ने दिए सख्त निर्देश.
- मुख्यमंत्री चौहान ने वनाधिकार दावों के निराकरण की समीक्षा की
ग्वालियर: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि अधिकारी माइंडंसेट बना लें, गरीब के अधिकारों को मैं छिनने नहीं दूंगा. कलेक्टर एवं वनमंडलधिकारी ध्यान से सुन लें, कोई भी आदिवासी जो 31 दिसम्बर 2005 को या उससे पहले से भूमि पर काबिज है, उसे अनिवार्य रूप से भूमि का पट्टा मिल जाए. कोई पात्र आदिवासी पट्टे से वंचित न रहे. काम में थोड़ी भी लापरवाही की, तो सख्त कार्रवाई होगी.
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में बड़ी संख्या में 3 लाख 58 हजार 339 आदिवासियों के वनाधिकार दावों को निरस्त किया जाना दर्शाता है कि अधिकारियों ने कार्य को गंभीरता से लिया ही नहीं है. आदिवासी समाज का ऐसा वर्ग है जो अपनी बात ढंग से बता भी नहीं पाता, ऐसे में उनसे पट्टों के साक्ष्य मांगना तथा उसके आधार पर पट्टों को निरस्त करना नितांत अनुचित है. सभी कलेक्टर एवं डी.एफ.ओ. समस्त प्रकरणों का पुनरीक्षण करें एवं एक सप्ताह में रिपोर्ट दें. आदिवासियों को पट्टा देना ही है.
मुख्यमंत्री चौहान मंत्रालय में वनाधिकार पट्टों के निराकरण की समीक्षा कर रहे थे. बैठक में आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल, प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल आदि उपस्थित थे.
समीक्षा के दौरान ग्वालियर स्थित एनआईसी के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कक्ष में संभागीय आयुक्त एम बी ओझा, अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक बी एम अनगिरि, कलेक्टर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी शिवम वर्मा, वन मण्डलाधिकारी अभिनव पल्लब, अपर कलेक्टर आशीष तिवारी सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे.
राजस्व भूमि पर काबिज हो तो उसका पट्टा दें
बैठक में वनाधिकार दावों की समीक्षा में यह तथ्य सामने आया कि बहुत से ऐसे प्रकरण हैं जिनमें आदिवासी राजस्व भूमि पर काबिज है. मुख्यमंत्री चौहान ने मुख्य सचिव बैंस को निर्देश दिए कि परीक्षण कराकर ऐसे आदिवासियों को राजस्व भूमि के पट्टे प्रदान किए जाएं.
160 में 153 दावे निरस्त किए
बैठक में मुख्यमंत्री चौहान ने जिलावार वनाधिकार पट्टों के दावों की समीक्षा की. मुरैना जिले की समीक्षा में पाया गया कि वहां 160 दावों में से 153 दावे निरस्त कर दिए गए. इस पर मुख्यमंत्री चौहान ने सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अधिकारी पट्टे देना चाहते हैं कि नहीं ? गरीबों के लिए यदि इस प्रकार का कार्य किया तो सख्त कार्रवाई होगी. कटनी एवं सिवनी ज़िलों में भी कार्य में खराब प्रगति पर चेतावनी दी गई.
बड़वानी जिले की सराहना
मुख्यमंत्री चौहान ने समीक्षा में पाया कि बड़वानी जिले में 10 हजार 438 वनाधिकार पट्टों के दावों में से 9764 आदिवासियों के पट्टे स्वीकृत किए गए. इस पर मुख्यमंत्री चौहान ने बड़वानी जिले के कलेक्टर एवं डी.एफ.ओ. की सराहना करते हुए बधाई दी. इंदौर जिले को भी इस कार्य में अच्छी उपलब्धि के लिए बधाई दी गई.
आदिवासी पंचायतें आयोजित करेंगे
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि शीघ्र ही आदिवासी अंचलों में आदिवासी पंचायतें आयोजित की जाएंगी, जिनमें वे तथा आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह भी जाएंगी. इनमें आदिवासियों को वनाधिकार पट्टों का वितरण किया जाएगा.
गैर-आदिवासियों के भी दावे अमान्य न करें
मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिए कि जो गैर-आदिवासी भी पात्र हैं, उनके प्रकरणों को भी अकारण निरस्त न करें. उनके प्रकरणों का परीक्षण करें तथा प्रावधानों के अनुसार उन्हें भी पट्टे दिए जाएं. भोपाल जिले की समीक्षा में पाया गया कि यहां 6794 वनाधिकार पट्टों के दावों को निरस्त किया गया है, इनमें 404 आदिवासियों के हैं, शेष सभी गैर-आदिवासी हैं.
अमान्य दावों के निरस्त होने के कारण
दावा की गई भूमि वनभूमि नहीं है 47,339 अधिनियम और नियम के अनुसार पर्याप्त साक्ष्य नहीं होने से 43,725 दिनांक 13.12.2005 की स्थिति या उससे पहले वनभूमि पर काबिज न होने से 1,17,314
दावा की गयी भूमि पर काबिज नहीं होने के कारण 28,457दोहरे आवेदन 8,829
दावेदार आजीविका के लिए वन या वन भूमि पर निर्भर नहीं है 8,823 अन्य परम्परागत वर्ग के मामले में दावेदार विगत 3 पीढ़ी से वन क्षेत्र का निवासी न होने भी कारण है.