राजेश तिवारी,
खास बातें:-
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विधानसभा चुनाव की काउंटिंग के दिन ही शशिनंद कुलियार को मिला था पीसीसीएफ का प्रभार
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काउंटिंग के दिन दोपहर 12:30 बजे पूर्व पीसीसीफ ने जूनियर अफसर को शशिनंद कुलियार को दिया था चार्ज
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1984 बैच के अफसर की अनदेखी कर 1986 बैच के अफसर को बना दिया था पीसीसीएफ
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यही नहीं पीसीसीएफ संजय कुमार ने सेंट्रल में एक पोस्ट नीचे के पद पर किया था ज्वाइन
रांचीः झारखंड आईएफएस कैडर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. क्रीम पोस्ट पाने के लिए लॉबिंग भी हो रही है. ऐसी लॉबिंग भी हुई जिसमें अपने दो साढ़ू भाई ही टकरा गए. एक 190 दिन तक इस पद पर प्रभार में रहे, दूसरे साढ़ू ने भी जोर लगाया और हो गए स्थायी.
24 जून को शशिनंद कुलियार के ही अपने साढ़ू भाई प्रियेश वर्मा को पीपीसीएफ हॉफ बना दिया गया. अब शशिनंद कुलियार को वन विभाग के सरकार ने साइडलाइन कर दिया है. उन्हें कार्मिक में योगदान देने का आदेश आदेश जारी कर दिया गया है.
क्यों हो गए कुलियार साइडलाइन
190 दिनों तक पीसीसीएफ हॉफ के प्रभार में रहे शशिनंद कुलियार कई सवालों के घेरे में थे. वजह यह भी रही कि जिस दिन(23 दिसंबर 2019) विधानसभा चुनाव की काउंटिंग चल रही थी, उस दिन झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ हेड ऑफ फोर्स) संजय कुमार का सेंट्रल डेप्यूटेशन में जाने का नोटिफिकेशन निकला.
उसी दिन दोपहर 12:30 बजे उन्होंने जूनियर अफसर शशिनंद कुलियार को पीसीसीएफ की गद्दी थमा दी. इसकी चर्चा आईएफएस महकमे में तेज होने लगी.
शशिनंद कुलियार 1986 बैच के अफसर हैं, जबकि इस प्रक्रिया में उसने सीनियर 1984 बैच के अफसरों की अनदेखी की गईं. वहीं पूर्व पीसीसीएफ संजय कुमार को सेंट्रल डेप्यूटेशन में जाने की इतनी हड़बड़ी थी कि काउंटिंग के दिन ही दोपहर 2 बजे के बाद दिल्ली के फ्लाइट पकड़ी. खास तो यह रहा कि सेंट्रल में उन्होंने अपने ओहदे से एक पद नीचे ही ज्वाइन करना मुनासिब समझा.