लोकसभा ने अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) में संशोधन से जुड़े बिल को मंजूरी दे दी. आतंक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने बुधवार को किसी व्यक्ति विशेष को भी अब आतंकवादी घोषित करने और उस पर प्रतिबंध लगाने से संबंधित विधेयक को लोकसभा में पास करवाया. विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले, उनकी मदद करने वाले, उन्हें पैसे मुहैया कराने वाले और उनका प्रचार करने वालों के खिलाफ सख्त प्रावधान किए गए हैं. हालांकि इस आतंकवाद निरोधक विधेयक पर सदन में चर्चा के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. इस दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद का प्रचार करने वाला भी आतंकवादी है. विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन (यूएपीए) विधेयक- 2019 को आतंकवाद-निरोधी विधेयक के रूप में जाना जा रहा है.
शाह ने कहा कि आतंकवाद सिर्फ बंदूक से जन्म नहीं लेता. जो आतंकवाद का प्रचार करता है वह भी आतंकवादी है. शाह ने इसके राजनीतिक दुरुपयोग की आशंकाओं को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि व्यक्ति विशेष को गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के दायरे में लाना जरूरी था इसीलिए सरकार को संशोधन विधेयक लाना पड़ा.
नए और पुराने कानून में अंतर:-
1-अभी केवल किसी समूह को आंतकी घोषित किया जाता है जबकि नए कानून के मुताबिक आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त होने की आशंका के आधार पर किसी अकेले व्यक्ति को भी आतंकी घोषित किया जा सकता है.
2-आतंकी घोषित होने के बाद संपत्ति जब्त करने को लेकर है. मौजूदा कानून के मुताबिक एक जांच अधिकारी को आंतकी से संबंधित संपत्ति को जब्त करने के लिए राज्य पुलिस के महानिदेशक का परमिशन लेने की आवश्यक्ता होता है जबकि अब नए बिल में प्रावधान हैं कि आतंकवादी गतिविधि पर संपत्ति जब्त करने से पहले एनआईए को अपने महानिदेशक से मंजूरी लेनी होगी.
3-मौजूदा कानून के मुताबिक उप पुलिस अधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त या इससे ऊपर रैंक के अधिकारी ही मामले की जांच कर सकते हैं. जबकि नए बिल में प्रावधान है कि आतंकवाद के मामले में एनआईए का इंस्पेक्टर स्तर का अधिकारी भी जांच कर सकेगा. इसके अलावा आतंकी घोषित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद कानून के बिंदुओ को भी जोड़ा जाएगा.
4-महज शक के आधार पर आतंकी घोषित हो सकते हैं- UAPA में नए बदलाव के तहत एनआईए के पास असीमित अधिकार आ जाएंगे. वह आतंकी गतिविधियों में शक के आधार पर लोगों को उठा सकेगी, साथ ही संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर उन पर कार्रवाई कर सकती है. साथ ही जांच के लिए एनआईए को पहले संबंधित राज्य की पुलिस से अनुमति लेना पड़ती थी, लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी, ऐसे में धरपकड़ बढ़ सकती है और विपक्ष को डर है कि इससे एनआईए की मनमानी बढ़ जाएगी और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. इसी कारण सदन में AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह बिल संवैधानिक अधिकारों के हनन का अधिकार देता है तो वहीं कांग्रेस ने इसे स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग की.