रांची: सावन में पहाड़ी मंदिर में अस्थायी रूप से कई दुकानें सज जाती थी, जो आज विरान है. कोरोना संकट की वजह से अस्थायी दुकान लगाने वालों की कारोबार चली गयी. उनका कमाई का जरिया दुकान ही था जो इस कोरोना संकट में चला गया.
वहां फिलहाल स्थायी रूप से कुछ दुकानें हैं पर, मंदिर नहीं खुलने की वजह से उनपर संकट आ गया है. कई श्रद्धालु सावन में बाहर से भी बाबा के दर्शन के लिए हमेशा आते हैं आज भी आये हैं. लेकिन, मंदिर का कपाट बंद होने की वजह से काफी निराश हैं. इस संबंध में कुछ दुकानदारों ने अपनी परेशानियांं बयां की
क्या कहते हैं दुकानदार:
शंकर प्रसाद – लॉकडाउन की वजह से काफी नुकसान हुआ है. 20 से 30 बोरा नारियल खराब हो गये. खासतौर पर सावन महीने को देखते हुए ज्यादा सामान बाहर से मंगाया गया था. कोरोना की वजह से इस बार नुकसान सहना पड़ेगा.
सोनू कुमार- सावन को देखते हुए बनारस और कोलकाता से सामान मंगाये जाते थे. कोलकाता और बनारस से मंगाये जाने वाले शिवलिंग, मूर्तियां, रुद्राक्ष की डिमांड काफी रहती थी. मालाएं आदि की बिक्री भी काफी होती थी. लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से सामान नहीं मंगाया गया है.
क्या कहते हैं श्रद्धालु:
सुनील कुमार– सिमडेगा से पहली बार पूरे परिवार के साथ सुनील कुमार पहाड़ी मंदिर दर्शन करने आये थे. लेकिन, उनका पूरा परिवार निराश है. क्योंकि, कोरोना को लेकर मंदिर का कपाट बंद है. उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाते हुए मंदिर को खोलना चाहिए था.
निरज वर्मा- कोरोना महामारी को लेकर सरकार ने जो निर्णय लिया है वो सही है. यह निर्णय हमारी भलाई के लिए ही है. जब लोग स्वस्थ रहेंगे तभी तो पूजा कर पायेंगे. इस बार घर से बाबा के दर्शन करूंगा.
उर्मिला वर्मा- कोरोना को लेकर सरकार द्वारा पहाड़ी मंदिर नहीं खोलने का निर्णय बिल्कुल सही है. इससे राजधानी वासियों और बाहर से आने वाले भक्तों की भलाई होगी. हम सभी बाबा के दर्शन ऑनलाइन ही करेंगे.
भिखारियों को भी हो रही है परेशानी:
मंदिर के बाहर बैठने वाले भिखारियों का कहना है कि इस बार सावन में पहाड़ी मंदिर के नहीं खुलने से उन्हें भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
लोगों के नहीं आने से उन्हें पैसे व अनाज भी नहीं मिल पायेगी. उनका कहना है कि परिवार चलाना भी दुभर हो जा रहा है. उनका कहना है कि इस बार उन्हें जैसे-तैसे काम चलाना पड़ रहा है.