हैदराबाद: अध्ययन करने वाले 200 से ज्यादा वैज्ञानिक सिर्फ ये कहना चाहते थे कि यह हवा में सिर्फ कुछ समय तक रहता है. दरअसल, विशेषज्ञों का कहना है कि ‘कोरोना के हवा में फैलने’ वाले अध्ययन से लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है.
इस अध्ययन का मतलब कतई यह नहीं है कि यह हवा में हर समय मौजूद रहता है और इससे हर किसी के संक्रमित होने का खतरा है.
सेंटर फॉर सेलुलर एंड मोलेकुलर बायोलॉजी-सीएसआईआर के निदेशक राकेश मिश्रा का कहना है कि लंबे समय तक मास्क पहनने के अलावा सोशल डिस्टेंसिंग जैसे अन्य एहतियाती उपाय कर वायरस से बचा जा सकता है.
हाल ही में 239 वैज्ञानिकों ने डब्ल्यूएचओ को पत्र लिखकर कहा था कि कोरोना वायरस हवा से फैलता है. मिश्रा ने कहा, यह दो शोध पेपर पर आधारित था.
डब्ल्यूएचओ को कहा गया कि वायरस हवा में अस्थायी तौर पर रहता है यानी पांच माइक्रोन से छोटे ड्रॉपलेट में यह लंबे समय तक रह सकता है. इसका मतलब है कि जब हम बोलते हैं या सांस लेते हैं तो इतने छोटे ड्रॉपलेट निकलते हैं.
अगर हम लंबे समय तक मास्क पहनते हैं और सामाजिक दूरी का पालन करते हैं तो इससे बच सकते हैं. फिलहाल मेरा मानना है कि लोगों को इस निष्कर्ष से घबराने की आवश्यकता नहीं है.