रांची : आदिवासी बु़िद्धजीवी मंच, झारखंड के तत्वावधान में शनिवार को डाॅ. राम दयाल मुंडा जनजाति शोध संस्थान में एक दिवसीय राज्यस्तरीय सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सेमिनार में पीपीईएसए और आरक्षण पर चर्चा किया गया. भारत के संविधान में 73वां और 74वां संशोधन लाने के बाद संसद द्वारा अनुच्छेद 243 एम1 (4)(बी) के आलोन में निर्मित अधिनियम 1996 अर्थात पीपीईएसए 1996 की धारा 3,4,4(एम) 4 )(ओ) तथा धारा-5 के आलोक में अनुसूचित क्षेत्रों में स्वषासी जिला परिषद और जनजाति ग्राम सभा के स्थापा की प्रासंगिकता.
इस सेमिनार में सभी जिले से आये आदिवासी बु़िद्धजीवी और मान्यता प्राम्त ग्राम प्रधान अपने-अपने पारंपरिक वेष-भूषा में शामिल होकर संवैधानिक जानकारी दिया. साथ ही सेमिनार के मुख्य वक्ता विक्टर मालटो ने बताया कि राज्य सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था और नगर पालिकाओं के स्थापना पर संवैधानिक रोक लगाया गया.
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विक्टर ने बताया कि संविधान के पार्ट 9 मे किसी राज्य विधान सभा संसदीय कानून पीपीईएसए , 1996 के धारा-4 में प्रावधन बताया किया है. वो कानून आज भी राज्य में कोई भी कानून नहीं बनाया गया.
मुख्य वक्ता विक्टर मालटो ने कहा कि अभिनियम की धारा 4(ओ) में बताया गया है कि राज्य विधान सभा, अनुसूचित जिला के स्तर पर, पंचायतों के प्रषासन व्यवस्था को स्थापित करने के क्रम में संविधान के पैटर्न का पालन करेगी, जो आज तक नहीं हुआ. साथ ही बताया कि झारखंड के कुल 12 जिला, 3 प्रखंडों और 2 पंचायतों को अनुसूचित क्षेत्रों के रूप में घोषित किया गया है. इस सेमिनार में वाल्टर कन्डुलना, विक्टर मालटो, संजीव कुमार विरूली अर्चना एक्का, वसील किडों, एतका मंडा, बारला, कृष्णा, दीपराज बेदिया, अमर, और कुणाल शामिल रहें.