विकास की सोच के बीच की बेहाल है रांची के मोहल्ला वासी…
दो बार महापौर चुनने के बाद भी मेहंदी हसन गली कि नहीं बनी सड़क
प्रधानमंत्री मोदी और रघुवर सरकार के विकास के दावों के बीच रांची नगर निगम के जनप्रतिनिधि भी चुने गए और इस बार तो खास बात यह है रांची की महापौर आशा लकड़ा दूसरी बार चुनकर आई है लेकिन लगता है दूसरी बार जीतने का गरुर उनके सर चढ़कर बोल रहा है और यही गुरुर उनके मातहत रहने वाले कर्मियों का भी दिख रहा है धमकी तक देरहे है महापौर के मातहत कर्मी।
ऑडियो क्लिप हुआ वायरल
इसकी बानगी एक ऑडियो क्लिप के माध्यम से वायरल भी हो रही है जिसमें सुजीत कुमार सिंह अपने इलाके मेहंदी हसन गली कि सड़क निर्माण के बाबत जब उनके मातहत कर्मी से पूछा तो वह कर्मी ऐसी हेकड़ी दिखाई मानो जन सुविधा मुहैया कराना बहुत बड़ा एहसान का काम है
और जनता के वोट से जनप्रतिनिधि बनी हुई आशा लकड़ा महापौर के पद पर बैठकर मानो बहुत बड़ा एहसान कर दी है लगभग 2 सालों से दौड़ने वाले सुजीत कुमार सिंह और मेहंदी हसन गली के लोग जब बार-बार के आश्वासनों से तंग आ गए हैं और बरसात की झमाझम उनकी गली को पूरी तरह से बर्बाद करता दिखा तो सोच समझ के एक बार फिर आशा लकड़ा के पास में फोन के माध्यम से गुहार लगाई लेकिन उनके मातहत और स्वयं आशा लकड़ा ने सुजीत कुमार पर ही बदतमीजी का आरोप लगा डाला जबकि ऑडियो क्लिप बता रहा है कि आशा लकड़ा को दुबारा अपने पद प्राप्ति का गुमान है और यह कहा भी जा सकता है कि कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के भेट मेहंदी हसन गली की सड़क चढ़ चुका है और चुनाव दर चुनाव वादे होते रहे लेकिन इस गली के बाशिंदे दौड़ते रहे शायद इस गली के भाग्य को सुधारने की इच्छा आशा लकड़ा में नहीं है जब सुजीत कुमार सिंह ने कहां की हर इलेक्शन में आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला और जब आशा लकड़ा पहली बार महापौर थी तब से अंसारी गली इलाके को सुधारने की बात आश्वासनों में गुजर रहा है जब मैं दूसरी बार चुनकर आई तो लगा कि भी अपना वादा याद रखेंगी लेकिन इसका उलट दिख रहा है और शायद दोबारा जीतने का घमंड उनके सर चढ़कर बोल रहा है उनकी कौन कहे मातहत कर्मी का भी व्यवहार निरंकुश राजा जैसा ही दिख रहा है
सुजीत कुमार सिंह ,महापौर आशा लकड़ा का कर्मी और आशा लाकड़ा की बातचीत के प्रमुख अंश
सुजीत कुमार- सर आशा लकड़ा के यहां से बात करें हैं क्या मेहंदी हसन गली से बोल रहे हैं एक्चुअली रोड के लिए चार पांच बार एप्लीकेशन डाल चुके हैं इलेक्शन से पहले भी आए थे इलेक्शन के बाद भी है बोला गया कि अब हो जाएगा लेकिन नहीं हुआ
मेयर के कर्मी की आवाज –हो जाएगा वह तो विवाद भी हो गया है पास भी हो गया है टेंडर भी हो गया क्या कारण है पता करेंगे
सुजीत कुमार -कब तक होगा सर
कर्मी का जबाब-अरे बरसात में काम नहीं होता है
सुजीत- अरे बरसात से पहले 6 महीना से दौड़ रहे हैं हम लोग सर व्हाट्सएप भेजूं
कर्मी-नहीं नहीं व्हाट्सएप नहीं
सुजीत-तो आप बताइए कोई अगर व्हाट्सएप नंबर है तो तो फोटो खींच कर भेजते हैं
कर्मी-टेंडर हो गया है काम शुरू करवाना है तो कब तक हो लगता है 6- 7 महीना लगता है प्रक्रिया में तो छह सात महीना से तो ज्यादा हो गया सर
कर्मी- तो टेंडर गया एक डेढ़ साल लगता है प्रक्रिया में हमारे यहां प्रस्ताव बोर्ड में पारित होता है
सुजीत- 2 साल पहले सर यहां सीवरेज वाला काम हुआ था
कर्मी-सीवरेज का काम अभी वैसे ही रहेगा
सुजीत-हम सीवरेज का काम नहीं बता रहे हैं सर रोड का काम बता रहे हैं
तो झल्ला कर रोड का काम तो बोल दिए हैं ना बरसात में काम नहीं होता है
सुजीत-ठीक है तो बरसात में हम लोग कैसे चलेंगे रोड पर सर
कर्मी- बरसात में रोड नहीं बनता है
सुजीत- तो पूरे बरसात में ऐसी रोड में ना चलेंगे सर
कर्मी- नहीं नहीं बरसात में कोई काम नहीं होता है डबल खर्च हो जाता है बरसात में रोड बनाने में
सुजीत- तो बरसात से पहले ही अर्जी दिए थे ना सर तो
कर्मी-पहले दिए थे तो बिना ठेकेदारी बिना टेंडर हुए कैसे काम होता है प्रक्रिया तो हो गई आपको बता रहे हैं टेंडर एलॉटमेंट हो गया है
सुजीत -रोड तो नहीं बना है ना सर
कर्मी-नहीं बनेगा तो बनेगा ना भैया 4 साल बाद बनेगा सर बकवास बंद कीजिए नहीं बनेगा रोड मत दीजिएगा आप वोट मत दीजिएगा रखिए फोन फोन रखो कौन है तू फोन रखो साला अभी देखता हूं
सुजीत-पुलिस को भेजिएगा सुजीत कुमार सिंह मेरा नाम है
कर्मी-मेयर के फोन में अपशब्द बोलेगा जब बोल दिया कि टेंडर हो गया है आप उलुल-जुलूल बात कर रहे हैं सुन लो मेरी बात
सुजीत-2 साल से आप लोग क्या कर रहे हैं सुन लो मेरी पहले बात आपका का सिर्फ यही काम है कि वोट लेना है फिर सो जाना है
कर्मी- अरे चुप इसलिए गाली देने का मन करता है
सुजीत-नहीं नहीं आप निश्चिंत हैं आप सब पैसा बर्बाद करते है पैसा पहले…