अमेरिका और चीन के बीच होने वाली व्यापार वार्ता से ठीक पहले ही चीन के सरकारी मीडिया ने ट्रंप सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। इसके मुताबिक अमेरिका इस कोशिश में है कि किसी प्रकार विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) चीन से उसके ‘विकासशील राष्ट्र’ होने का दर्जा वापस ले ले। इसके साथ ही यह भी दावा किया है कि डब्ल्यूटीओ पर दबाव बनाने की अमेरिकी चाल कामयाब नहीं होगी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से शुक्रवार को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि राबर्ट लाइथिजर को भेजे गए एक कार्यालयी पत्र के बाद चीन के सरकारी मीडिया ने सोमवार को यह प्रतिक्रिया जाहिर व्यक्त की। इस पत्र में कहा गया है कि डब्ल्यूटीओ की ओर से विकसित और पड़ गया है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि डब्ल्यूटीओ के कुछ सदस्य इसका अनुचित फायदा उठा रहे हैं।
ट्रंप के पत्र में कहा गया है कि 90 दिनों के भीतर डब्ल्यूटीओ की ओर से नियमों में सुधार की दिशा में सार्थक और ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं, तो अमेरिका उसके किसी भी सदस्य देश को विकासशील देश के तौर पर नहीं लेगा। अनुचित तरीके से खुद को विकासशील देश घोषित करके डब्ल्यूटीओ नियमों के लचीलेपन और उसके समझौतों के तहत फायदा उठाने वाले देशों को अब अमेरिका विकासशील नहीं मानेगा। इस पत्र में मुख्य रूप से चीन को केंद्र में रखा गया है।
राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से यह पत्र मंगलवार और बुधवार को अमेरिकी और चीन के वार्ताकारों के बीच शंघाई में होने वाली बैठक से पहले जारी किया गया है। इस बैठक का मकसद दोनों देशों के बीच व्यापार विवाद को सुलझाना है जिसके चलते दोतरफा कारोबार पर 360 अरब डालर मूल्य का शुल्क लगाया गया। चीनी मीडिया के मुताबिक एक नई सौदेबाजी के तहत अमेरिका ने इस समय यह पत्र जारी किया है। यह भी कहा कि अमेरिकी सरकार दादागीरी की नई कोशिश कर रही है जिसका कड़ा विरोध होना तय है।
डब्ल्यूटीओ में विकासशील देश का दर्जा हासिल करने वाले देशों की सरकारों को मुक्त व्यापार प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए लंबी समय-सीमा प्रदान की जाती है। साथ ही ऐसे देशों को अपने कुछ घरेलू उद्योगों का संरक्षण करने और राजकीय सहायता जारी रखने की अनुमति होती है। डब्ल्यूटीओ व्यापार नियमों की वैश्विक व्यवस्था का संचालन और विवादों का निपटारा करने वाली संस्था है।