नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था में नकदी के इस्तेमाल को कम करने के लिए सरकार को ग्राहकों के बीच क्यूआर (क्विक रिस्पांस) कोड के जरिए लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देने चाहिए.
रिजर्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है. क्यूआर कोड के जरिए विभिन्न बिक्री केंद्रों और दुकानों पर मोबाइल से आसानी से भुगतान किया जा सकता है.
क्यूआर कोड पर्याप्त सूचनाओं को अपने में संग्रहित रख सकता है. यह एक तरह का बारकोड होता है जिसे मशीन के जरिए पढ़ लिया जाता है. एक जापानी कंपनी ‘डेंसो वेव’ ने साल 1990 में क्यूआर कोड का अविष्कार किया था.
भारत में क्यूआर कोड भुगतान प्रणाली व्यापक तौर पर तीन तरह से – भारत क्यूआर, यूपीआई क्यूआर और प्रॉप्रिएटरी क्यूआर के जरिए काम करती है.
आईआईटी बंबई के प्रोफेसर एमरिटस डीबी पाठक की अध्यक्षता वाली रिजर्व बैंक की इस समिति ने और भी कई सुझाव इस संबंध में दिए हैं. उसने कहा है कि जो व्यापारी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भुगतान स्वीकार करते हैं, उन्हें कर प्रोत्साहन भी दिया जाना चाहिए.
क्यूआर कोड के विश्लेषण के लिए गठित इस समिति ने कहा है कि देश में क्यूआर कोड के जरिए लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए और इसे लोगों के बीच आकर्षक बनाने के लिए सरकार को प्रोत्साहन योजनाओं को भी शुरू करना चाहिए.