लोकसभा में पास कराने के बाद सरकार ने तीन तलाक बिल को राज्यसभा में पास कर दिया है। BJD ने इस बिल का समर्थन किया, वहीं JDU, AIADMK और TRS ने वॉकआउट किया। PDP और BSP भी वोटिंग में शामिल नहीं हुईं। विपक्ष के सभी बड़े संशोधन प्रस्ताव गिरे। विपक्षी एकता ध्वस्त हुई। लोकसभा में तीन तलाक बिल 25 जुलाई को पहले ही पास हो चुका है। मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान दिसंबर 2018 में भी यह बिल लोक सभा पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में यह अटक गया था। पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाने का फैसला किया था। यह मोदी सरकार के लिए ऐतिहासिक कामयाबी का दिन है। इस दिन को सामाजिक सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना गया है।
कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि आज ऐतिहासिक दिन है। संसद में ट्रिपल तलाक बिल पास हुआ जो कि महिला शशक्तिकरण की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम है। मैं आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनंदन करता हूं जिनके नेतृत्व में संसद ने मुस्लिम महिलाओं के प्रति होने वाले इस अत्यचार का अंत किया।
तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद इसका इस्तेमाल होने पर सरकार सितंबर 2018 में अध्यादेश लाई। तीन तलाक देने पर पति को तीन साल की सजा का प्रावधान रखा गया। हालांकि, किसी संभावित दुरुपयोग को देखते हुए विधेयक में अगस्त 2018 में संशोधन कर दिए गए थे।
जनवरी 2019 में इस अध्यादेश की अवधि पूरी होने से पहले दिसंबर 2018 में एक बार फिर सरकार बिल को लोकसभा में नए सिरे से पेश करने पहुंची। 17, दिसंबर 2018 को लोकसभा में बिल पेश किया गया। हालांकि, एक बार फिर विपक्ष ने राज्यसभा में इसे पेश नहीं होने दिया और बिल को सिलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की जाने लगी। एक बार फिर बिल अटक गया।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने 2017 में तीन तलाक को निरस्त किया था। दो जजों ने इसे असंवैधानिक कहा था, एक जज ने पाप बताया था। इसके बाद दो जजों ने इस पर संसद को कानून बनाने को कहा था। संसद में यह बिल लोकसभा से तो दो बार पास हुआ, लेकिन राज्यसभा में अटक गया। इसके बाद इसे कानूनी जामा पहनाने के लिए सरकार ने अध्यादेश का रास्ता चुना है। हालांकि 6 महीने के अंदर इस पर संसद की मुहर लगनी जरूरी थी।