अयोध्या के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में गठित मध्यस्थता पैनल के सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने की अंतिम तारीख़ बुधवार यानी 31 जुलाई है. इस रिपोर्ट के आने के बाद चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ इस मामले के समाधान को लेकर फ़ैसला करेगी. सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई की तारीख़ 2 अगस्त तय की गई है, उस दिन शीर्ष अदालत यह तय करेगी कि मामले का हल मध्यस्थता से होगा या अदालती सुनवाई से.
करीब 500 साल पुराना मामले में…करीब 150 साल से जारी तकरार पर… करीब दो दशक से चली आ रही कानूनी आजमाइश अब अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंचती दिख रही है. हम बात कर रहे हैं अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की, जिसे सुलझाने के लिए हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक सुनवाई हुई, पर अब तक नतीजा नहीं निकला. रामजन्म भूमि से जुड़े अयोध्या विवाद मामले में समझौते से समाधान की उम्मीद अब करीब करीब खत्म हो गयी है. अगले कुछ घंटों में ये साफ हो जाएगा कि अयोध्या मामले पर मध्यस्थता से नतीजा निकलेगा या अदालती इंसाफ से.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने बातचीत से समाधान के लिए गठित मध्यस्थता पैनल से 31 जुलाई तक इस मामले में हुई प्रगति की अंतिम रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट देखने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ये तय करेगी कि इस मामले का निपटारा कैसे किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए 2 अगस्त की तारीख मुकर्रर की है. उस दिन ओपन कोर्ट में सुनवाई होगी जिसके बाद अदालत ये फैसला लेगी कि इस मामले का हल मध्यस्थता से निकाला जाएगा या रोजाना की सुनवाई से. यानी जस्टिस कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली मध्यस्थता कमेटी के पास अब सिर्फ 31 जुलाई तक का वक्त बचा है. उसके बाद गेंद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के पाले में होगी.