अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने 2006 क्यूक्यू 23 (2006 QQ23) नाम के एक ऐसे एस्टेरॉयड का पता लगाया है जो 10 अगस्त को धरती से टकरा सकता है। वैज्ञानिक चिली स्थित दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन के जरिए इस पर नजर बनाए हुए हैं। अंतरिक्ष में एक नहीं हजारों की संख्या में एस्टेरॉयड मौजूद हैं। धरती हमेशा ही इनके निशाने पर होती है। इनमें कुछ छोटे तो कुछ इतने विशाल हैं कि यदि वे धरती से टकरा जाएं तो तबाही ला सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वे इसके खतरे को लेकर अपना अध्ययन जारी रखे हुए हैं। नासा नए सिरे से इसका आकार प्रकार को मापने में लगी हुई है।
वैज्ञानिकों ने 21 अगस्त 2006 को पहली बार इस एस्टेरॉयड का पता लगाया था। तब भी इसके धरती से टकराने की आशंका जताई गई थी। वैज्ञानिकों ने तब लगातार 10 दिनों तक इस पर नजर रखी थी। यह धरती के काफी करीब आ गया था। लेकिन, इसके बाद यह उनकी नजरों से यह ओझल हो गया था। अब नासा के वैज्ञानिकों को यह एस्टेरॉयड दोबारा नजर आया है। इसे लेकर वे बेहद सक्रिय हैं। हालांकि, बीते दिनों नासा के सेंटर फॉर नीयर अर्थ आब्जेक्ट स्टडीज के मैनेजर पॉल चडस का कहना था कि 20,000 से अधिक विश्लेषणों में पाया गया है कि अगली सदी में इंसानों के खत्म होने की संभावना 10,000 में एक है।
इस एस्टेरॉयड का ब्यास 254 से 568 मीटर के बीच है। यह 263 दिनों में सूर्य का एक चक्कर लगा रहा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे अटेन श्रेणी में रखा है जिसका अर्थ है कि यह धरती के नजदीक से गुजरने वाला एस्टेरॉयड है। नासा के सेंटर फॉर नीयर अर्थ आब्जेक्ट स्टडीज के मुताबिक, अगले महीने की 10 तारीख को यह धरती के बेहद करीब यानी 0.04977 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट्स की दूरी से गुजरेगा। इसके धरती से टकाने की आशंका 7000 में से एक के बराबर है बावजूद वैज्ञानिक इसके खतरे को कम करके नहीं देख रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि इतना बड़ा एस्टेरॉयड धरती से टकरा जाए तो एक देश को खत्म कर सकता है।
साल 2013 मेंच चेलियाबिंस्क में एक छोटा पिंड टकराया था जिसकी वजह से 66 फीट गहरा गड्ढा हो गया था। यह टक्कर दक्षिणी यूराल क्षेत्र में हुई थी जिसके कारण करीब 1500 लोग घायल हो गए थे और संपित्तयों को काफी नुकसान पहुंचा था। यह इतनी तेज घटना थी जिसे लोग समझ ही नहीं पाए थे। यही नहीं 6.6 करोड़ साल पहले 10 किलोमीटर आकार का एक छुद्र ग्रह धरती से टकराया था जिसके कारण धरती से डायनासोर एवं अन्य दूसरी प्रजातियां विलुप्त हो गई थीं। साल 2012 में एक बस के आकार का एस्टेरॉयडधरती के काफी करीब से गोली से 10 गुना तेज रफ्तार से गुजर गया था जिससे वैज्ञानिक सन्न रह गए थे। अभी इसी महीने 19 जुलाई को ही 2019 एनजे2 एस्टेरॉयड धरती के नजदीक से गुजरा था।
हमारे सौरमंडल में मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें छोटे बड़े हजारों खगोलीय पिंड मौजूद हैं, जिन्हें एस्टेरॉयड के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र को एस्टेरॉयड क्षेत्र के नाम से जानते हैं। इनमें एक खगोलीय पिंड तो 950 किलोमीटर के व्यास का भी है। एस्टेरॉयड सूर्य की परिक्र मा करते हैं। लेकिन छोटे आकार की वजह से इनको ग्रह नहीं कहा जाता है। हमारे सौरमंडल में करीब एक लाख एस्टेरॉयड मौजूद हैं, जो अलग-अलग आकार के हैं। हिडाल्गो, हर्मेस, ऐरोस नामक क्षुद्रग्रह तो पृथ्वी से कुछ लाख किलोमीटर की ही दूरी पर हैं। ऐरोस एक छोटा क्षुद्रग्रह है जो कक्षा से भटक गया है तथा हर सात वर्षों के बाद पृथ्वी से 256 लाख किलोमीटर की दूरी पर आ जाता है। इसकी खोज 1898 में जी विट ने की थी।