राजधानी में आवासीय कॉलोनियों की संकरी सड़कों पर बहुमंजिला अपार्टमेंट बनाने की तैयारी में बिल्डरों की मंशा पूरी नहीं हो पाई है। एलडीए बोर्ड ने छोटे भूखंडों पर नियोजित और अनियोजित कॉलोनियों में फ्लैट बनाने की अनुमति देने से मना कर दिया है। बोर्ड में आए प्रस्ताव को भी मंगलवार को नामंजूर कर दिया गया। बिना सर्वे और मुश्किलों के आकलन के प्रस्ताव बनाकर एलडीए के नियोजन विभाग ने बैठक में रखा था। टीवी चैनलों ने एलडीए के नियोजन विभाग के छोटे भूखंडों पर अपार्टमेंट बनाने की अनुमति देने के प्रस्ताव के संभावित नुकसान का मुद्दा उठाया था। इस संबंध में 29 और 30 जुलाई को खबरें प्रकाशित की थीं। इसमें नियोजित व अनियोजित कॉलोनियों के स्लम जैसे हालात सामने रखे गए।
बिना अनुमति के अवैध निर्माण कर बने ऐसे अपार्टमेंटों से हो रहीं समस्याओं को बताया गया। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में फेल रहे प्रयोग की जानकारी भी दी गई। इसके बाद एलडीए बोर्ड ने भी कॉलोनियों में रहने वालों की दिक्कत और सुरक्षा को देखते हुए प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया। बोर्ड में फै सले के मुताबिक अब आवास विभाग, यूपी सरकार को भी बिल्डिंग बाइलॉज के अध्याय 26 में किए संशोधन पर पुनर्विचार के लिए पत्र भेजा जाएगा।
इस संशोधन को ही अंगीकृत कर एलडीए को अपने यहां अनुमति छोटे भूखंडों पर बहुआवासीय निर्माण की देनी है।
इसके लिए एलडीए के अलावा अब आवास विकास परिषद भी अपनी कॉलोनियों की समस्या को देखते हुए पत्र भेजेगा।
आवास आयुक्त अजय चौहान ने एलडीए बोर्ड को इसकी सहमति दी है। वह मंगलवार को एलडीए बोर्ड में सदस्य के रूप में बैठक में शामिल हुए।बोर्ड सदस्यों ने ये दिक्कतें गिनाईं सैटबैक नहीं होने से आगजनी का खतरा। जनसंख्या घनत्व क्षेत्र में बढ़ने से पार्क जैसी सुविधाएं प्रभावित होंगी। अवस्थापना सुविधाएं जैसे सीवर लाइन, सड़क पर असर पड़ेगा। एकल आवासीय के संसाधनों पर बहुआवासीय निर्माण कॉलोनी की सूरत बिगाड़ेगी।यह प्रस्ताव रखा गया
एलडीए के नियोजन विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक नियोजित कॉलोनियों में 300 वर्गमीटर से बड़े और अनियोजित कॉलोनियों में 150 वर्गमी. से बड़े एकल आवासीय भूखंड़ों पर बहुआवासीय निर्माण की अनुमति दिए जाने पर फैसला होना था। इस तरह की अनुमति को 12 मीटर या अधिक चौड़ी सड़क का तर्क रखा गया।